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Britain: 82 सांसदों के समर्थन से भारतीय मूल के ऋषि सुनक फिर ब्रिटिश पीएम की रेस में आगे, इस पूर्व पीएम से है मुकाबला

इसके अलावा पिछली बार इस रेस में उतरने वाले पेनी मॉर्डेंट के साथ 19 सांसद होने की बात कही जा रही है। पेनी ने ही अब तक पीएम पद की उम्मीदवारी का एलान किया है। सुनक और जॉनसन ने अभी इस बारे में कुछ भी नहीं कहा है। अभी के हालात के मुताबिक जॉनसन के लिए 100 सांसदों का समर्थन हासिल करना मुश्किल हो सकता है।

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rishi sunak

लंदन। भारतीय मूल के ऋषि सुनक एक बार फिर ब्रिटेन के पीएम पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं। उनका मुकाबला पूर्व पीएम बोरिस जॉनसन से है। पीएम लिज ट्रस के 45 दिन में ही पद छोड़ने के बाद सुनक इस पद की रेस में दोबारा लौटे हैं। ऋषि को इससे पहले ट्रस ने चुनावी दौर में पछाड़कर ब्रिटिश पीएम का पद हासिल किया था, लेकिन वो इस पद को संभाल नहीं सकीं। लिज ट्रस से पहले बोरिस जॉनसन ब्रिटेन के पीएम थे। पीएम पद के लिए ऋषि सुनक और बोरिस जॉनसन ने अपनी कंजरवेटिव पार्टी के सांसदों का समर्थन जुटाना शुरू किया है। पीएम पद पाने के लिए कम से कम 100 सांसदों का समर्थन होना जरूरी है।

Rishi sunak boris Johnson

अभी तक की जानकारी के मुताबिक करीब 82 सांसद ऋषि सुनक को पीएम बनाने के पक्ष में हैं। बोरिस जॉनसन के पक्ष में सिर्फ 41 सांसद बताए जा रहे हैं। इसके अलावा पिछली बार इस रेस में उतरने वाली पेनी मॉर्डेंट के साथ 19 सांसद होने की बात कही जा रही है। पेनी ने ही अब तक पीएम पद की उम्मीदवारी का एलान किया है। सुनक और जॉनसन ने अभी इस बारे में कुछ भी नहीं कहा है। जॉनसन के लिए 100 सांसदों का समर्थन हासिल करना मुश्किल हो सकता है। वो कई अनियमितताओं और स्कैंडल्स में घिरे थे। इन्हीं वजहों से उनको पीएम पद छोड़ना पड़ा था।

Rishi sunak

बात करें ऋषि सुनक की, तो वो जॉनसन की सरकार में चांसलर ऑफ द एक्सचेकर यानी वित्त मंत्री के पद पर थे। फिलहाल ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था डांवाडोल है। वो दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा भी खो चुका है। इसके अलावा बेरोजगारी और महंगाई की दर भी ब्रिटेन में लगातार बढ़ रही है। रूस और यूक्रेन के बीच जंग को इसकी बड़ी वजह माना जा रहा है। ब्रिटेन परोक्ष तौर पर इस जंग में यूक्रेन का साथ दे रहा है। वहीं, जनमत सर्वे के मुताबिक अगले आम चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी को सत्ता गंवानी पड़ सकती है। लेबर पार्टी एक बार फिर ब्रिटेन में सत्ता संभालने के लिए पूरा जोर लगा रही है।

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