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Putin Praises Modi: ‘मेक इन इंडिया को बढ़ावा देना पीएम मोदी का सही कदम’, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन बोले- भारत से सीखने की जरूरत

पुतिन ने कहा कि भारत से यूरोप तक बन रहे आईएमईसी गलियारे से उन्हें रूस के सामने कोई बाधा नहीं दिखती। पुतिन ने कहा कि इस गलियारे से रूस को फायदा होगा। व्लादिमिर पुतिन ने कहा कि भारत से यूरोप तक बनने वाले गलियारे को लेकर कई साल से चर्चा हो रही थी। पुतिन ने इसे रूस के लिए फायदेमंद बताया।

व्लादीवोस्तोक। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन कई मौकों पर पहले भी पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ के पुल बांध चुके हैं। एक बार फिर पुतिन ने मोदी की तारीफ की है। व्लादिमिर पुतिन ने 8वें ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में कहा कि पीएम मोदी मेक इन इंडिया को लगातार बढ़ावा दे रहे हैं और ये सही कदम है। रूस में बन रही कारों के बारे में एक सवाल के जवाब में रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि अपने देश में बने ऑटोमोबाइल का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उन्होंने इसके बाद कहा कि भारत में मोदी के नेतृत्व में इसका उदाहरण स्थापित किया जा चुका है। पुतिन ने कहा कि पहले हमारे यहां भी कारें नहीं बनती थीं, लेकिन अब बनती हैं।

Putin

पुतिन ने इसके बाद कहा कि हमें भारत जैसे अपने कई भागीदारों से  सीखने की जरूरत है। भारत अब ज्यादातर अपने यहां कार और विमान बनाने पर ध्यान दे रहा है। पीएम मोदी ने मेक इन इंडिया को प्रोत्साहित कर सही काम किया है। पुतिन ने कहा कि अगर रूस में बनी कारों का इस्तेमाल करेंगे, तो इससे डब्ल्यूटीओ संबंधी कोई उल्लंघन भई नहीं होगा। रूस को ये भी तय करना होगा कि कौन सा अफसर कौन सी कार चला सकता है। इससे रूस में कारें बनाने के काम को बढ़ावा मिलेगा। पुतिन ने इसके बाद जी-20 के दौरान भारत से अरब देशों और यूरोप तक बनने वाले गलियारे के बारे में भी अपनी राय रखी।

imec corridor

पुतिन ने कहा कि भारत से यूरोप तक बन रहे आईएमईसी गलियारे से उन्हें रूस के सामने कोई बाधा नहीं दिखती है। पुतिन ने कहा कि इस गलियारे से रूस को फायदा होगा। व्लादिमिर पुतिन ने कहा कि भारत से यूरोप तक बनने वाले इस गलियारे को लेकर कई साल से चर्चा हो रही थी। इस गलियारे के बन जाने से रूस को लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में फायदा होने वाला है। बता दें कि भारत, अमेरिका, यूएई, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, इटली, इजरायल वगैरा मिलकर ये गलियारा बना रहे हैं। इसकी कुल लंबाई करीब 6000 किलोमीटर होगी। जिसमें से 3500 किलोमीटर का समुद्री मार्ग होगा। भारत से समुद्र के रास्ते माल अरब देशों में पहुंचेगा। इसके बाद इसे रेल नेटवर्क के जरिए इजरायल के हाइफा बंदरगाह ले जाया जाएगा। वहां से फिर समुद्री मार्ग के जरिए यूरोपीय देशों में सामान पहुंचेगा। इससे स्वेज नहर के अलावा एक दूसरा रास्ता भी तैयार होगा।