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Same Sex Marriage: इन मुस्लिम देशों में सेम सेक्स मैरिज को मिली है कानूनी मंजूरी, देखें पूरी लिस्ट

Same Sex Marriage: कोर्ट ने इससे जुड़े कई पहलुओं पर सवाल उठाया। कोर्ट ने कहा कि अगर समलैंगिक जोड़ों की शादी को कानूनी मान्यता दे भी दी जाती है, तो अगर आगे चलकर ऐसे जोड़ों की अलवाग की स्थिति पैदा होती है और बात तलाक तक पहुंच जाती है, तो ऐसे में तलाक के लिए क्या प्रावधान रहेंगे।

नई दिल्ली। सेम सेक्स मैरिज पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्य़क्षता में पांच जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने सेम सेक्स मैरिज को विधिक मान्यता देने से इनकार कर गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाल दी है। कोर्ट ने 3-2 के बहुमत से यह फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि इस पर कानून बनाने का काम तो केंद्र सरकार है। लिहाजा केंद्र सरकार से इस संदर्भ में समिति गठित कर समलैंगिक जोड़ों की समस्याओं के निदान पर विचार विमर्श किए जाने की मांग की गई है। उधर, कोर्ट ने समलैंगिक जोड़ों को बच्चा गोद लेने से भी रोक दिया है। इसके अलावा कई ऐेसे विषय हैं, जिसे लेकर पेंच फंसता हुआ नजर आ रहा है। कोर्ट ने इससे जुड़े कई पहलुओं पर सवाल उठाया। कोर्ट ने कहा कि अगर समलैंगिक जोड़ों की शादी को कानूनी मान्यता दे भी दी जाती है, तो अगर आगे चलकर ऐसे जोड़ों की अलवाग की स्थिति पैदा होती है और बात तलाक तक पहुंच जाती है, तो ऐसे में तलाक के लिए क्या प्रावधान रहेंगे।

उधर, जस्टिस हिमा कोहली ने इस पर अपना फैसला नहीं है। बहरहाल, अब आगामी दिनों में इस पर केंद्र सरकार का क्या रूख रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन उससे पहले आप यह जान लीजिए कि दुनिया के कई देशों में समैलैंगिक जोड़ों की शादी को कानूनी मान्यता दी जा चुकी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के करीब 34 देशो में समलैंगिक जो़ड़ों को की शादी को कानूनी मान्यता दी जा चुकी है, जिसमें से 10 देश ऐसे हैं, जहां इस संदर्भ तक कानून तक बनाए जा चुके हैं और वहीं शेष देशों में कोर्ट की ओर से फैसले आए हैं। इतना ही नहीं, आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इसमें 10 मुस्लिम देश ऐसे भी हैं, जो कि समलैंगिक जोड़ों की शादी को मान्यता दे चुके हैं। आइए, आगे कि रिपोर्ट में जानते हैं कि आखिर कौन हैं वो दस मुस्लिम देश ?

लेबनान

लेबनान ने साल 2014 में समलैंगिक जोड़ों को शादी को कानूनी मान्यता दे दी थी। लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट इसे अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था। इसके बाद इसे राष्ट्रीय मनोरोग विकारों से भी हटा दिया गया था। बता दें कि दंड संहिता की धारा 377 को हटाकर समलैंगिक शादी को परंपरा को अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया था।

कजाकिस्तान

कजाकिस्तान में समलैंगिक जोड़ों को कानूनी मिल चुकी है। इसके अलावा वहां सरकार यह भी सुनिश्चित करती है कि किसी भी समलैंगिक जोड़ों में किसी भी प्रकार की असुरक्षा की भावना विकसित ना हो।

माली

माली में भी लंबी कानूनी लड़ाई के बाद समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी जा चुकी है। हालांकि, वहां के कुछ प्रबुद्ध लोगों ने इसका विरोध किया था, लेकिन बाद में वो भी इसके लिए राजी हो गए थे। उधर, वहां तो सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि कोई भी व्यक्ति समलैंगिक जोड़ों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई भी जाती है।

नाइजर

वहीं नाइजर में भी समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी जा चुकी है। हालांकि, शुरुआत में कुछ लोगों को पहले इससे आपत्ति थी, लेकिन समलैंगिक विवाह को वहां अपराध की परिधि से हटा दिया गया था।

इंडोनेशिया

इंडोनेशिया में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता प्राप्त हो चुकी है। वहां समलैंगिक जोड़े स्वेच्छा से विवाह कर सकते हैं। सरकार या प्रशासन को इस पर किसी भी प्रकार की आपत्ति नहीं होती है।

उत्तरी साइप्रस

उधर, उत्तरी साइप्रस में भी समलैंगिक जोड़ों को 7 फरवरी 2014 में भी शादी करने इजजात कानूनी रूप से दी जा चुकी है। हालांकि, इस फैसले से इसे अपराध की श्रेणी में रखा गया था, लेकिन बाद में इसे बाहर कर दिया गया था।

बहरीन

बहरीन में 1976 में ही शादी को कानूनी मान्यता दी जा चुकी है। हालांकि, शुरुआत में कई लोग इसके विरोध में थे, लेकिन बाद में इसे कानूनी मान्यता दे दी गई थी।

India's Top Court to Consider Legalizing Same-Sex Marriage : r/IndiaSpeaks

अज़रबैजान

अज़रबैजान में भी समलैंगिक जोड़ों की शादी को कानूनी मान्यता दी जा चुकी है। 2000 में यहां समलैंगिक जोड़ों को शादी को कानूनी मान्यता दे दी गई थी। इसके अलावा सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि ऐसे जोड़ों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव ना हो। अगर किसी के साथ ऐसा होता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई किए जाने का भी प्रावधान है। बहरहाल, अब जिस तरह से भारत में इसे कानूनी मान्यता दिलाए जाने की मांग उठ रही है, उस पर कोर्ट आगामी दिनों में क्या रुख रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाल दी है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि इस पर कानून बनाने का हक केंद्र के पास है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र से समिति गठित करने की मांग की है, जिसका काम समलैंगिकों जोड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।