नई दिल्ली। अभी कुछ दिनों पहले ही संयुक्त राष्ट्र में पूरी दुनिया के सामने बेआबरू होने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के बाद अब उनके एक और सहयोगी को विरोध का सामना करना पड़ गया। अब तो बस इतना समझ लीजिए कि बेआबरू होना पाकिस्तान के नुमाइंदों की फितरत बन चुकी है। कभी संयुक्त राष्ट्र तो कभी भारत, तो कभी कहीं तो कभी कहीं। अब इसी कड़ी में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने ब्रिटेन में अपनी फजीहत करवा ली। सड़कों पर डेरा डाले लोगों की नजरें जैसे ही महमूद कुरैशी पर गई तो उनकी ऐसी क्लास लगी कि कुरेशी शर्म के मारे पानी-पानी हो गए। अब वो भी करें तो करें क्या। भला बबूल का पेड़ रोपकर आम खाने की उम्मीद तो की नहीं जा सकती। कुछ ऐसा ही हाल वैश्विक मंच पर पाकिस्तान का भी हुआ पड़ा है। उनके सहयोगियों ने अपनी नापाक करतूतों से जिस तरह की छवि पाकिस्तान की विकसित की है, उसका खामियाजा लंदन की सड़कों पर महमूद कुरैशी को भुगतना पड़ गया। आइए, आगे जानते हैं कि आखिर महमूद कुरैशी का विरोध करने के दौरान लोगों ने उनके लिए किस तरह के अल्फाजों का इस्तेमाल किया।
यूं तो अल्फाजों की इस दुनिया में बेशुमार अल्फाजों का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन लंदन की सड़कों पर जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल महमूद कुरैशी के लिए किया गया, उसने सहज ही सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। इस बीच विरोध करने वाले लोगों ने ब्रिटेन सरकार से बड़ी मांग भी की है। हम आपको ब्रिटेन सरकार से की गई इस मांग के बारे में बताएंगे, लेकिन उससे पहले आप यह जान लीजिए कि ब्रिटेन की सड़कों पर बलूच और सिंध प्रांत के लोगों के विरोध का सामना शाह महमूद कुरैशी को क्यों करना पड़ गया। विरोधियों ने कहा कि आज की तारीख में पाकिस्तान अल्पसंख्यकों का सर्वाधिक शोषण करने वाले देशों में शुमार हो चुका है। पाकिस्तान विरोधियों के आवाज को दबाता है।
वहां अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं। पत्रकार, राजनीतिक कार्यकर्ताओं व वे सभी लोग जो पाकिस्तान से सवाल पूछने की हिम्मत जुटाते हैं, पाकिस्तान उनकी हिम्मत को कुचलने का काम करता है। इसके साथ ही लंदन की सड़कों पर विरोध कर रहे लोगों ने ब्रिटेन से पाकिस्तान को वित्त पोषित करने पर रोक लगाने की मांग की है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय संधियों की धज्जियां उड़ाते हुए बस अपनी ही मनमानी करता है। उसकी इस निरंकुश शैली पर विराम लगाना अनिवार्य है।