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Nepal And China: श्रीलंका के बाद अब नेपाल हो सकता है बर्बाद!, पोखरा एयरपोर्ट को बनाने में चीन से लिए कर्ज के जाल में फंसने के आसार

चीन ने नेपाल के पोखरा एयरपोर्ट को अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव यानी बीआरआई का हिस्सा बताया है। बीआरआई योजना के जरिए चीन पहले पाकिस्तान और कुछ अन्य देशों को भी अपने कर्ज की जाल में फंसा चुका है। श्रीलंका की खराब माली हालत का नजारा कुछ महीने पहले ही दिखा था।

काठमांडू। श्रीलंका के बाद अब भारत का पड़ोसी देश नेपाल भी चीन के कर्ज तले दबने की राह पर दिख रहा है। नेपाल के सामने ये संकट पोखरा एयरपोर्ट की वजह से आया है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल को पोखरा एयरपोर्ट को नए सिरे से बनाने और उसका रंग-रूप निखारने के लिए चीन ने बड़ा कर्ज दिया। पोखरा एयरपोर्ट को चीन ने बनाया भी है। पोखरा एयरपोर्ट के लिए जो धन नेपाल ने खर्च किया, उसका बड़ा हिस्सा चीन ने दिया। अब यही कर्ज चुकाने में नेपाल को लाले पड़ सकते हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के मुताबिक नेपाल की सरकार को पोखरा एयरपोर्ट बनाने के लिए कुल 305 मिलियन डॉलर खर्च करने पड़े। इतनी बड़ी रकम में से चीन के एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक ने 215 मिलियन डॉलर की धनराशि दी। नेपाल सरकार को चीन को ये कर्ज की रकम 2026 से चुकानी है।

pokhara airport

चीन ने पोखरा एयरपोर्ट बनाने के लिए जो धन दिया है, उसमें ब्याज की दर का अभी पता नहीं है। अगर चीन ब्याज कम भी ले, तो भी नेपाल के विदेशी मुद्रा भंडार में 215 मिलियन की ये बड़ी रकम बोझ बन सकती है। चीन ने नेपाल के पोखरा एयरपोर्ट को अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव यानी बीआरआई का हिस्सा बताया है। बीआरआई योजना के जरिए चीन पहले पाकिस्तान और कुछ अन्य देशों को भी अपने कर्ज की जाल में फंसा चुका है। पाकिस्तान में खराब माली हालत के बाद तो बीआरआई योजना पर काम तक ठीक से नहीं हो पा रहा है। नेपाल की बात करें, तो उसके विदेशी मुद्रा भंडार पर जबरदस्त दबाव है। नेपाल का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले साल यानी 2022 में खराब हालत में पहुंच गया था। जुलाई 2021 में नेपाल का विदेशी मुद्रा भंडार 11.75 अरब डॉलर था। जो फरवरी 2022 में गिरकर 9.75 अरब डॉलर ही रह गया था।

yuan and dollar

विदेशी मुद्रा भंडार के घटने पर नेपाल में विदेशी वस्तुओं को लाने और आम लोगों के इनको खरीदने पर सरकार ने रोक भी लगाई थी। अब पोखरा एयरपोर्ट के लिए चीन का दिया कर्ज चुकाने के लिए नेपाल को अपने विदेशी मुद्रा भंडार में अच्छी खासी बढ़ोतरी करनी होगी। वरना उसके लिए इस कर्ज को चुकाना मुमकिन नहीं होगा और फिर चीन जैसा चाहेगा, वैसा ही नेपाल को करना होगा। चीन के कर्ज जाल का खामियाजा बीते दिनों ही श्रीलंका ने भी भुगता है। श्रीलंका को भारत और विदेशी संस्थाओं से सहायता मिलने पर अब उसकी गाड़ी पटरी पर धीरे-धीरे लौट रही है।