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Tension For Indian Students: अमेरिका में नए कानून का बिल संसद में पेश, पास होने पर बढ़ेगी भारतीय छात्रों की दिक्कत

Tension For Indian Students: अमेरिका में विदेशी मूल के करीब 11 लाख छात्र हैं। इनमें से भारतीय छात्रों की संख्या 3.30 लाख के करीब है। भारतीय छात्रों में ज्यादातर STEM यानी साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स पढ़ते हैं। अमेरिका की संसद में नए कानून का बिल आया है। अगर ये पास हो गया, तो अमेरिका में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों के करियर में बड़ी बाधा पैदा हो सकती है। जानिए आखिर किस मसले पर ये बिल अमेरिका की संसद में पेश किया गया है?

अमेरिका का संसद भवन कैपिटल।

वॉशिंगटन। एक तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के देशों समेत भारत पर टैरिफ लगा दिया है। वहीं, अब अमेरिका की संसद में ऐसा बिल आया है, जिसने वहां पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों को चिंता में डाल दिया है। अमेरिका की संसद में आया बिल अगर पास हो गया, तो वहां हजारों भारतीय छात्रों के लिए मुश्किल होगी। ये भारतीय छात्र अमेरिका में शिक्षा लेने के बाद काम नहीं कर सकेंगे। अमेरिका में विदेशी मूल के करीब 11 लाख छात्र हैं। इनमें से भारतीय छात्रों की संख्या 3.30 लाख के करीब है। भारतीय छात्रों में ज्यादातर STEM कोर्सेज यानी साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स पढ़ते हैं।

स्टेम के तहत अमेरिका में पढ़ाई करने वाले छात्रों को अब तक ये सहूलियत मिलती रही है कि वे शिक्षा पूरी करने के बाद वहां 3 साल तक काम कर सकते हैं। अगर अमेरिका की संसद में आया बिल पास हो गया, तो भारतीय छात्रों को पढ़ाई खत्म होने पर अमेरिका छोड़ना पड़ेगा। वे फिर अमेरिका में तभी काम कर सकेंगे, जब उनके पास एच1बी वीजा होगा। पढ़ाई के बाद अमेरिका में काम करने से भारतीय छात्रों को अनुभव भी हासिल होता है और इससे उनका भविष्य बेहतर बनता है। जानकारी के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप ने आव्रजन के लिए जो सख्त नियम लागू किए हैं, उसी के आधार पर अमेरिका की संसद में बिल लाया गया है।

नया कानून पास होने के बाद भारत के अलावा अन्य देशों के छात्रों को भी अमेरिका छोड़ना होगा। इससे उनके पास अब यूरोप या कनाडा जाकर काम करने का विकल्प खुला मिलेगा। अगर एच1बी वीजा की बात करें, तो इसकी संख्या काफी सीमित होती है और आवेदन करने वालों की लॉटरी निकाली जाती है। अब तक स्टेम कोर्सेज के जरिए पढ़ाई करने वाले 3 साल तक काम करने के बाद एच1बी वीजा के लिए लेते रहे हैं। फिर एच1बी वीजा के जरिए बाद में अमेरिका का ग्रीन कार्ड हासिल करने में उनको मदद मिल जाती थी।