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S Jaishankar : वह वक्त गुजर गया जब पश्चिमी देशों को माना जाता था तरक्की का मानक, फिजी में पश्चिम पर गरजे एस जयशंकर

S Jaishankar : फिजी में इस मौके पर जयशंकर और राष्ट्रपति कटोनिवेरी ने संयुक्त रूप से एक डाक टिकट भी जारी किया। उद्घाटन सत्र में पहले फिजी के प्रधानमंत्री सित्विनी राबुका को मौजूद रहना था, लेकिन भारतीय अधिकारियों ने बताया कि यहां संसद सत्र के चलते उनकी जगह राष्ट्रपति ने उद्घाटन सत्र में भाग लिया।

नई दिल्ली। जब से एस जयशंकर भारत के विदेश मंत्री बने हैं तब से लगातार भारत की विदेश नीति मजबूत हो रही है। हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की बात को विदेश मंत्री एस जयशंकर मजबूती से रखते है। जयशंकर ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में बदलाव आ रहे हैं और अब नया बैलेंस बन रहा है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में पुनर्संतुलन हो रहा है और वह युग पीछे छूट गया है जब प्रगति का मानक पश्चिमीकरण को माना जाता था। उन्होंने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में धीरे-धीरे व्यापक बहु-ध्रुवीयता उत्पन्न हो रही है और अगर तेजी से विकास करना है तो यह आवश्यक है कि सांस्कृतिक संतुलन दोबारा बने।”

आपको बता दें कि जयशंकर ने फिजी में 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि हमें अंतरराष्ट्रीय संबंधों में हिंदी को बढ़ावा देने की जरूरत है। जयशंकर ने कहा कि भाषा न केवल पहचान की अभिव्यक्ति है बल्कि भारत और अन्य देशों को जोड़ने का माध्यम भी है। फिजी के प्रमुख शहर नांदी में फिजी सरकार और भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से आयोजित इस सम्मेलन में दुनिया भर से हिंदी के करीब 1,200 विद्वान व लेखक भाग ले रहे हैं। ‘देनाराउ कनवेंशन सेंटर’ में तीन दिन चलने वाले सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान फिजी के राष्ट्रपति रातू विलीमे कटोनिवेरी के अलावा भारत सरकार में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा तथा विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन भी मौजूद थे। फिजी में हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त किया है।

गौरतलब है कि फिजी में इस मौके पर जयशंकर और राष्ट्रपति कटोनिवेरी ने संयुक्त रूप से एक डाक टिकट भी जारी किया। उद्घाटन सत्र में पहले फिजी के प्रधानमंत्री सित्विनी राबुका को मौजूद रहना था, लेकिन भारतीय अधिकारियों ने बताया कि यहां संसद सत्र के चलते उनकी जगह राष्ट्रपति ने उद्घाटन सत्र में भाग लिया।यहां बातचीत के दौरान जयशंकर ने कहा, ‘वह युग पीछे छूट गया है जब प्रगति का मानक पश्चिमीकरण को माना जाता था।’ जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भाषा और संस्कृति के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, ‘भारत ने आजादी के 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं और अब हम अगले 25 वर्ष के लिए एक महत्वाकांक्षी पथ पर आगे बढ़ रहे हैं जिसे हमने अमृतकाल कहा है।’