
वॉशिंगटन। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने व्हाइट हाउस के बोर्ड ऑफ ले लीडर्स यानी सलाहकार के तौर पर 2 ऐसे लोगों को नियुक्त किया है, जिनमें से एक पर साल 2000 में लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लेने, जिहादियों को इन शिविरों में प्रवेश दिलाने में मदद और जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल होने जैसे आरोप हैं। इनमें से एक का नाम इस्माइल रॉयर उर्फ रेंडेल रॉयर और दूसरे का नाम शेख हमजा यूसुफ है। शेख हमजा यूसुफ जायतुना कॉलेज का सह संस्थापक है। इस्माइल रॉयर का नाम पहले रेंडेल रॉयर था। उसने साल 2000 में इस्लाम ग्रहण किया था। रॉयर को साल 2004 में अमेरिका के एक कोर्ट ने आतंकी गतिविधियों के लिए 20 साल कैद की सजा सुनाई थी।
EXCLUSIVE:
🚨 Islamic JIHADIST who traveled to Pakistan to train in an Islamic terror camp and served a 20 year prison sentence in the US for Jihadi terrorist activities has now been listed as a member of the White House Advisory Board of Lay Leaders, Announced Today on the… pic.twitter.com/d1HHHGUFYX
— Laura Loomer (@LauraLoomer) May 17, 2025
वहीं, इस्माइल रॉयर और शेख हमजा यूसुफ की बोर्ड ऑफ ले लीडर्स में नियुक्ति के बारे में व्हाइट हाउस का कहना है कि इस्माइल रॉयर धार्मिक स्वतंत्रता संस्थान के लिए इस्लाम और धार्मिक आजादी कार्यदल के निदेशक के तौर पर काम करते हैं। बताया गया है कि इस्माइल रॉयर ने 1999 में इस्लाम धर्म अपनाने के बाद पारंपरिक इस्लामी विद्वानों के साथ धार्मिक विज्ञान को पढ़ा है। साथ ही गैर लाभकारी इस्लामी संगठनों के साथ 10 साल से ज्यादा वक्त बिताया है। रॉयर को अलग-अलग धर्मों के बीच शांति को बढ़ावा देने के लिए काम करने वाला भी बताया गया है। अमेरिकी पत्रकार लारा लूमर ने सोशल मीडिया में पोस्ट कर बताया है कि शेख हमजा यूसुफ भी जेहादी है। वो हमास और मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़ा है। वो जैतूना कॉलेज में शरिया पढ़ाता है।

अमेरिका के न्याय विभाग के 16 जनवरी 2004 के बयान के मुताबिक इस्माइल रॉयर और उसके साथी व सह अभियुक्त इब्राहिम अल-हम्दी ने अमेरिका के उत्तरी वर्जीनिया राज्य में एक उग्रवादी जेहादी नेटवर्क की जांच के दौरान हथियारों और विस्फोटकों के बारे में दोषी होना स्वीकार किया था। रॉयर उस वक्त 30 साल का था। उस पर हिंसा के दौरान और उससे संबंधित हथियार का इस्तेमाल करने और गंभीर अपराध के लिए विस्फोटक ले जाने का आरोप लगाया गया था। वो 13 साल जेल में भी रहा था। ट्रंप की टीम में शामिल रॉयर ने माना था कि उसने कई को लश्कर के कैंप में प्रवेश पाने में मदद की। जहां हथियारों की ट्रेनिंग दी गई। कई अन्य बार भी लश्कर-ए-तैयबा के कैंप में जेहादियों को प्रवेश कराने की बात इस्माइल रॉयर ने मानी थी।