
वॉशिंगटन। अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने सिराजुद्दीन हक्कानी पर रखे 10 लाख डॉलर के इनाम को हटा लिया है। अमेरिका सरकार ने ये कदम उस वक्त उठाया, जब अफगानिस्तान पर शासन कर रहे तालिबान ने अमेरिका के नागरिक जॉर्ज ग्लेजमैन को रिहा कर दिया। जॉर्ज ग्लेजमैन बीते 2 साल से तालिबान की कैद में थे। अफगानिस्तान में उनको अगवा करने का आरोप लगा था। ग्लेजमैन को रिहा कराने के लिए अमेरिकी सरकार के विशेष दूत एडम बोहल ने कतर में तालिबान के अफसरों से बात की थी। जिसके बाद तालिबान ने जॉर्ज ग्लेजमैन को रिहा करने का फैसला किया।
अमेरिका में अफगानिस्तान संबंधी मामलों के विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि सिराजुद्दीन हक्कानी के बारे में खबर देने पर 10 लाख डॉलर इनाम का एलान किया गया था। इनाम हटाने के बाद भी सिराजुद्दीन हक्कानी को अमेरिका की खुफिया एजेंसी एफबीआई की आतंकियों की लिस्ट में रखा गया है। तालिबान ने जॉर्ज ग्लेजमैन की रिहाई के बारे में कहा है कि ये दुनिया में हालात का सामान्य करने की कोशिश का हिस्सा है। अब सिराजुद्दीन हक्कानी की बात करते हैं। सिराजुद्दीन हक्कानी के तालिबान गुट को बहुत खूंखार माना जाता है। अल-कायदा से भी हक्कानी के रिश्ते रहे हैं।
सिराजुद्दीन हक्कानी पहले पाकिस्तान में रहते हुए अफगानिस्तान में नाटो सेना पर कई हमलों के मामले में शामिल रहा है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति रहे हामिद करजई की साल 2008 में हत्या की साजिश में भी सिराजुद्दीन हक्कानी का नाम आया था। उसी साल काबुल के एक होटल में हुए आतंकी हमले में भी तालिबान के इस नेता का नाम आया था। होटल पर हुए हमले में अमेरिका के नागरिक समेत 6 लोगों की जान गई थी। सिराजुद्दीन हक्कानी का पिता जलालुद्दीन हक्कानी था। साल 2020 तक हक्कानी नेटवर्क पर कई हमलों का आरोप लगा। सिराजुद्दीन के गुट में 15000 आतंकी हैं। अफगानिस्तान से जब अमेरिका ने अपना साज-ओ-सामान बटोर लिया, तो तालिबान ने देश पर फिर कब्जा जमाकर शासन शुरू कर दिया। जिसके बाद सिराजुद्दीन हक्कानी पाकिस्तान से अफगानिस्तान आ गया था।