नई दिल्ली। भारत में ऐसे बहुत से बिरले लोग हुए हैं जिन्होंने अपने उत्कृष्ट कार्यों की बदौलत न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी हिंदुस्तान का गौरव बढ़ाया और देशवासियों का सिर गर्व से ऊंचा किया है। ऐसे ही भारत मां के एक सपूत थे भारतीय सेना के पूर्व कर्नल वैभव अनिल काले, जिनकी गाजा के रफाह इलाके में इजरायली हवाई हमले में मृत्यु हो गई। वैभव अनिल काले की मौत पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने संरा में भारत के योगदान की सराहना करते हुए माफी के साथ संवेदना व्यक्त की है।
भारतीय सेना से वीआरएस लेने के बाद कर्नल वैभव अनिल काले को संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा और संरक्षा विभाग में सुरक्षा समन्वय अधिकारी नियुक्त किया गया था। जिस वक्त हमला हुआ उस समय वह संयुक्त राष्ट्र का झंडा लगे एक वाहन पर सवार होकर रफाह के यूरोपियन अस्पताल जा रहे थे। उन्होंने 2009 और 2010 के बीच संयुक्त राष्ट्र में आकस्मिक मुख्य सुरक्षा अधिकारी के रूप में भी काम किया था। अनिल काले साल 2000 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे।
कर्नल वैभव अनिल काले ने भारतीय सेना में 11 जम्मू-कश्मीर राइफल्स में सेवाएं दी थीं। उन्होंने पठानकोट एयरबेस पर 2016 के हुए आतंकवादी हमले को रोकने में भी अहम भूमिका निभाई थी। कर्नल काले भारतीय सेना में रहते हुए खुफिया और आतंकवाद विरोधी कई अभियानों का हिस्सा रहे। कर्नल काले ने 2022 में भारतीय सेना से वीआरएस ले लिया था और तीन सप्ताह पहले ही संयुक्त राष्ट्र में सिक्योरिटी कोऑर्डिनेशन ऑफिसर के रूप में कार्य शुरू किया था। कर्नल काले के पार्थिव शरीर का पुणे में अंतिम संस्कार किया जाएगा जहां उनकी पत्नी और दोनों बच्चे रहते हैं। वैभव काले के भाई विशाल काले भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टन के पद पर तैनात हैं, जबकि उनके चचेरे भाई अमेय काले भी सेना में कर्नल हैं।