नई दिल्ली। चैत्र नवरात्र के बाद आदिशक्ति विन्ध्याचल धाम का शुद्धिकरण वैशाख मास में गंगा जल से किया गया। घंटे-घडियाल, शंख, नगाड़ा व शहनाई की मधुर ध्वनि से पूरा विंध्यधाम गुंजायमान हो उठा। हजारों की संख्या में भक्त गंगा के पवित्र जल को घड़े में भर कर मंदिर के समस्त देवी-देवताओं का अभिषेक कर निकासी में शामिल हुए। भक्तों ने मंदिर को धोने के साथ ही पूरे धाम की सफाई की, अर्ध रात्रि में दुष्ट आत्माओं को भगाने के लिए जहां देवी की आराधना की गई। वहीं, नवरात्र में तंत्र साधना के दौरान आयी तमाम योगिनी की विदाई सविधि पूजन अर्चन के साथ बलि चढ़ाकर की गयी।
मान्यता है कि मंदिर का शुद्धिकरण करने व भुत प्रेत व योगिनी की विदाई करने के लिए निकासी करने से दुष्ट आत्माओं से मुक्ति और आपदाओं से छुटकारा मिलता है। विन्ध्य पर्वत के मणिदीप पर विराजमान आदिशक्ति माता विंध्यवासिनी का धाम आदिकाल से साधकों के लिए सिद्धपीठ रहा है। माता के दरबार में तंत्र-मन्त्र के साधक आकर साधना में लीन होकर माता रानी की कृपा पाते हैं। नवरात्र में प्रति दिन देश के कोने कोने से भक्तो का तांता जगत जननी के दरबार में लगता है। साधना के दौरान साधक धाम में भूत-प्रेत, लंकिनी-डंकिनी व योगिनी का आहवान करते हैं।
यूपी: चैत्र नवरात्र के बाद गंगाजल से किया गया मिर्ज़ापुर के विन्ध्याचल धाम का शुद्धिकरण pic.twitter.com/lTsvoGK1Tk
— Newsroom Post (@NewsroomPostCom) April 17, 2022
मेला ख़त्म होने के बाद विन्ध्याचलवासी माता के धाम की गंगा जल से धुलाई करते हैं। अनादि काल से चली आ रही परम्परा के तहत भक्त घडा की पूजा करने के बाद गंगा स्नान करते हैं। इसके बाद घड़े को गंगा जल से भरकर माता के धाम की सफाई करते हैं। माता के धाम में आस्था से विभोर भक्तों का घडा के साथ तांता लग जाता है। माता की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। पूजा के बाद निकासी करके जहा दुष्ट आत्माओं का शमन किया जाता है, वही योगिनी की विदाई भी की जाती है।