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Vindhyavasini Dham: चैत्र नवरात्र के बाद आदिशक्ति विन्ध्याचल धाम का किया गया शुद्धिकरण, लंकिनी-डंकिनी व योगिनी का किया था आहवान

Chaitra Navratri : मान्यता है कि मंदिर का शुद्धिकरण करने व भुत प्रेत व योगिनी की विदाई करने के लिए निकासी करने से दुष्ट आत्माओं से मुक्ति और आपदाओं से छुटकारा मिलता है। विन्ध्य पर्वत के मणिदीप पर विराजमान आदिशक्ति माता विंध्यवासिनी का धाम आदिकाल से साधको  के लिए सिद्धपीठ रहा है।

नई दिल्ली। चैत्र नवरात्र के बाद आदिशक्ति विन्ध्याचल धाम का शुद्धिकरण वैशाख मास में गंगा जल से किया गया। घंटे-घडियाल, शंख, नगाड़ा व शहनाई की मधुर ध्वनि से पूरा विंध्यधाम गुंजायमान हो उठा। हजारों की संख्या में भक्त गंगा के पवित्र जल को घड़े में भर कर मंदिर के समस्त देवी-देवताओं का अभिषेक कर निकासी में शामिल हुए। भक्तों ने  मंदिर को धोने के साथ ही पूरे धाम की सफाई की, अर्ध रात्रि में दुष्ट आत्माओं को भगाने के लिए जहां देवी की आराधना की गई। वहीं, नवरात्र में तंत्र साधना के दौरान आयी तमाम योगिनी की विदाई सविधि पूजन अर्चन के साथ बलि चढ़ाकर की गयी।

After Vindhyachal Chaitra Navratri fair, devotees do the purification of the Dham with Ganga water, a tradition that has been going on for centuries. | नवरात्रि मेले के बाद भक्त करते हैं

मान्यता है कि मंदिर का शुद्धिकरण करने व भुत प्रेत व योगिनी की विदाई करने के लिए निकासी करने से दुष्ट आत्माओं से मुक्ति और आपदाओं से छुटकारा मिलता है। विन्ध्य पर्वत के मणिदीप पर विराजमान आदिशक्ति माता विंध्यवासिनी का धाम आदिकाल से साधकों के लिए सिद्धपीठ रहा है। माता के दरबार में तंत्र-मन्त्र के साधक आकर साधना में लीन होकर माता रानी की कृपा पाते हैं। नवरात्र में प्रति दिन देश के कोने कोने से भक्तो का तांता जगत जननी के दरबार में लगता है। साधना के दौरान साधक धाम में भूत-प्रेत, लंकिनी-डंकिनी व योगिनी का आहवान करते हैं।

मेला ख़त्म होने के बाद विन्ध्याचलवासी माता के धाम की गंगा जल से धुलाई करते हैं। अनादि काल से चली आ रही परम्परा के तहत भक्त घडा की पूजा करने के बाद गंगा स्नान करते हैं। इसके बाद घड़े को गंगा जल से भरकर माता के धाम की सफाई करते हैं। माता के धाम में आस्था से विभोर भक्तों का घडा के साथ तांता लग जाता है। माता की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। पूजा के बाद निकासी करके जहा दुष्ट आत्माओं का शमन किया जाता है, वही योगिनी की विदाई भी की जाती है।