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Falgun Amavasya 2022: 2 मार्च को पड़ रही फाल्गुन अमावस्या, इन उपायों से करें पितरों का तर्पण, हमेशा बना रहेगा आर्शीवाद

Falgun Amavasya 2022: ज्योतिषाचार्यों की मानें तो अबकि अमावस्या पर शिव और सिद्ध योग बन रहे हैं, जिसमें व्रत करने से जातकों को दोगुना फल प्राप्त होता है। इसमें पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध भी किया जाता है।

नई दिल्ली। जीवन में सुख-शांति के लिए रखा जाने वाला फाल्गुन अमावस्या का व्रत 02 मार्च को है। इस बार फाल्गुन अमावस्या पर दो खास संयोग बन रहे हैं इसलिए इस बार इसे विशेष माना जा रहा है। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो अबकि अमावस्या पर ‘शिव योग’ और ‘सिद्ध योग’ बन रहे हैं, जिसमें व्रत करने से जातकों को दोगुना फल प्राप्त होता है। इसमें पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध भी किया जाता है। इसके अलावा इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान आदि की भी परंपरा है।

फाल्गुन अमावस्या का महत्व

हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि फाल्गुन अमावस्या पर पवित्र नदियों में देवी-देवताओं का निवास होता है, जिसमें गंगा, यमुना और सरस्वती में स्नान का विशेष महत्व है। अगर ये अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है तो इस दिन महाकुम्भ स्नान का योग बनता है, जो अत्यंत फलदायी माना जाता है. फाल्गुन अमावस्या के दिन भगवान शिव और भगवान श्री कृष्ण की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने का विधान है।

शुभ मुहूर्त

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का प्रारंभ महाशिवरात्रि के समापन के बाद – 02 मार्च की भोर से पहले रात 01 बजकर 3 मिनट से हो जाएगा। फाल्गुन अमावस्या तिथि का समापन- 02 मार्च को रात 11 बजकर 04 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर फाल्गुन अमावस्या 02 मार्च को पड़ रही है।

शिव और सिद्ध योग में फाल्गुन अमावस्या

ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इस साल 2022 में फाल्गुन अमावस्या पर दो शुभ योग बन रहे हैं। फाल्गुन अमावस्या के दिन शिव योग सुबह 08 बजकर 21 मिनट तक है। उसके बाद सिद्ध योग लगेगा, जो 03 मार्च को सुबह 05 बजकर 43 मिनट तक बना रहेगा।

फाल्गुन अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए।
1- इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देकर पितरों का तर्पण करना चाहिए।
2- पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करना चाहिए और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा देनी चाहिए।
3- अमावस्या के दिन शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए और अपने पितरों का स्मरण करके पीपल की सात परिक्रमा लगानी चाहिए।
4- रुद्र, अग्नि और ब्राह्मणों का पूजन करके उन्हें उड़द, दही और पूरी आदि का नैवेद्य अर्पित करना चाहिए और प्रसाद स्वरूप स्वयं भी उन्हीं पदार्थों का एक बार सेवन करना चाहिए।


5- गाय के कच्चे दूध, दही, शहद से शिवजी का अभिषेक करना चाहिए साथ ही उन्हें काले तिल भी अर्पित करना चाहिए।
6- अमावस्या को शनिदेव का दिन भी माना जाता है, इसलिए इस दिन उनकी पूजा जरूर करनी चाहिए, इसके अलावा शनि मंदिर में नीले पुष्प अर्पित करना चाहिए। काले तिल, काली साबुत उड़द दाल, कड़वा तेल, काजल और काला कपड़ा भी अर्पित करना चाहिए।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Newsroompost इसकी पुष्टि नहीं करता है।