नई दिल्ली। क्या आप जानते हैं कि प्राचीन काल में घर में कई शुभ वस्तुएं रखी जाती थीं, उनमें से एक सियार सिंगी (Siyar Singhi) भी है। इन दिनों हर कोई ज्योतिष (Astrology) विज्ञान जानने का दावा करता है और कहीं से पढ़कर इस तरह की वस्तुओं के संग्रह की सलाह देता है। आइए आज हम आपको बताते हैं कि सियार सिंगी क्या है और इसे घर में रखने के क्या लाभ हैं?
जानिए व्यापार दूर करने और धन योग उदय का प्राचीन सरल उपाय
आजकल एक समस्या अक्सर सुनने को मिलती है या जिसका समाधान अक्सर पूछा जाता है वो है व्यापार या लक्ष्मी बंधन का। लोग कहते हैं की अच्छा खासा चलता बिजनेस या दुकान अचानक से ठप हो गयी। पैसे की कम हो गयी। रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करना भी मुश्किल हो रहा है। यह सिर्फ बिजनेस वालो की नहीं नौकरी वालों की भी समस्या होती है की अचानक ऑफिस में माहौल और संबंध बिगड़ जाते हैं तनख्वाह कट जाती है किसी नुकसान का जिम्मेदार आपको ठहरा दिया जाता है।
जो पैसे मिलते है उसमे आवश्यकता पूर्ति नहीं हो पाती जबकि उतने ही पैसों में पहले जिन्दगी आराम से चल रही थी। अक्सर लोगों को पता भी होता है की उनके इस कठिन समय के लिए कौन जिम्मेदार है या किसने ये किया कराया है तो कई बार वे इससे बिलकुल अनभिज्ञ रहते हैं। मित्रों, एक अचूक अति प्राचीन शास्त्रों मे वर्णित विधी आपके समक्ष साझा कर रहा हूं। जिन्हें करके आप इस मुसीबत से छुटकारा पा सकते हैं इससे न सिर्फ व्यापार या लक्ष्मी का बंधन कटेगा बल्कि धनागम भी सुचारू और बेहतर होगा साथ ही नियम पूर्वक करने पर धन योग उदय का भी आनंद लेंगे। वैसे तो ये प्रयोग नवरात्र या दीपावली पर करना अधिक प्रभावी होता है पर जब पैसे के लाले पड़े हों तब कोई इतना लंबा इंतजार कैसे करेगा और ये चीज तुरंत खोलनी चाहिए।
यह प्रयोग आप किसी भी पक्ष की अष्टमी अथवा किसी भी शुक्रवार के दिन एक लकड़ी की चौकी या पाटे पर एक लाल वस्त्र बिछाएं। उस पर मां काली का एक विग्रह या चित्र स्थापित करें। पाटे या चौकी के चारों कोनो पर एक एक उड़द की ढेरी बना कर उस पर एक एक लघु नारियल स्थापित करें। मां के चारों ओर उड़द और चावल की पांच ढेरियाँ बनाकर प्रत्येक पर 3-3 गांठ काली हल्दी की रखें और दो दो गोमती चक्र चढ़ाएं। विग्रह के सामने तीन मुट्ठी अक्षत और सवा मुट्ठी उड़द की ढेरियां बनायें। चावल वाली ढेरी पर सियार सिंगी का जोड़ा और उड़द वाली ढेरी पर हत्था जोड़ी स्थापित करें। चमेली या तिल के तेल का दीपक जलाएं। अब भगवान श्री गणेश जी का पूजन कर प्रार्थना करें की आपका ये अनुष्ठान सफलता पूर्वक संपन्न हो और आपके सभी कष्ट दूर हों। फिर मां और सभी वस्तुओं की पंचोपचार पूजा करें। चन्दन की धूप या धूनी जलाएं। मां को खीर का भोग अर्पित करें। निम्न मंत्र की 11 माला करें-
ॐ श्रीं ह्रीं क्रीं फट स्वाहा। ॐ किली किली स्वाहा।
इस प्रकार उक्त सामग्री यूं ही रहने दें। आगे 10 दिन तक 11 माला करें। अंतिम दिन पुनः खीर का भोग लगायें बीच के दिनों में बर्फी पैडा या ड्राई फ्रूट आदि का भोग लगा सकते हैं। 11वें दिन उक्त सारा सामान अर्थात सियार सिंगी, हत्था जोड़ी, काली हल्दी और प्रत्येक धेरी में से एक गोमती चक्र को उठाकर एक चांदी की डिब्बी में सिंदूर भर कर रख लें। लाल कपड़े को अपने गल्ले में निचे बिछा दें और पैसे उसके ऊपर या उसमे लपेट कर रखें। अन्य सभी सामग्री अर्थात चावल उड़द खिचड़ी, प्रत्येक ढेरी पर बचे हुए एक गोमती चक्र और लघु नारियल को एक काले कपडे में लपेट लें और अपनी दुकान प्रतिष्ठान गल्ले के ऊपर से 21 बार घडी की उलटी दिशा में उतार कर नदी में प्रवाहित कर दें। उक्त प्रयोग के बाद यदि आप उक्त मंत्र को प्रतिदिन 3 माला 6 माह तक नियमित रूप से कर लें तो आपको स्वयं ही अनुभूति होगी की धनागमन हो रहा है। नोट या पैसे आसमान से नहीं बरसेंगे बल्कि आपको कम मेहनत में भी अच्छा खासा लाभ होगा। मित्रों ये बेहद प्रभावी और कारगर उपाय है।
इसके करने से न सिर्फ व्यापार और लक्ष्मी का बंधन खुलेगा बल्कि कुछ ही वक्त में धन का अवागमन सुचारू हो जायेगा साथ ही आपके शत्रुओं के पूर्व में किये और भविष्य में किये जाने वाले सभी टोटके आदि भी निष्फल हो जायेंगे। इसके आलावा सिद्ध दक्षिणावर्ती शंख को स्थापित कर उसमे प्रतिदिन जल भरकर छिडकाव करने से भी लक्ष्मी बंधन दूर होता है। सिद्ध एकाक्षी नारियल और श्वेतार्क गणपति स्थापित कर उनका नियमित पूजन करने से भी उक्त लाभ होता है। इसके साथ ही यदि आपको अपने कार्य स्थल में आलस आता हो, कमर या पैरों में दर्द रहता हो, आंखे लाल हो जाती हों जबान लडखडाती हो यइ सभी चीजें भी उक्त प्रयोग से समाप्त हो जाएंगी।
इस प्राचीन शास्त्रोक्त व्यापार/लक्ष्मी बंधन दूर करने और धन योग उदय कि विधी मे प्रयुक्त सभी विशि्ष्ट वस्तु/सामग्री सिद्ध,प्राणप्रतिष्ठित तथा योग्य स्वरुप मे शुद्ध एवम अभिमांत्रित (असली) हो इसकी सावधानी आवश्यक है अन्यथा अभिष्ट फल की प्राप्ति संश्यीत होती है। सियार सिंगी बहुत ही चमत्कारी होती है। इसे घर में रखने से सकारात्मक उर्जा का अनुभव होता है। सियार सिंगी बालों के गुच्छे की तरह होती है, असल में सियार के सींग नहीं होते परन्तु कुछ सियारों के नाक के ऊपर बालों का एक गुच्छा बन जाता है। धीरे धीरे वह कड़ा और बड़ा हो जाता है और सींग जैसा बन जाता है इसे सियार सिंगी कहते हैं और यह हजारों सियार में से किसी एक के नाक पर होता है। इसमें वशीकरण की अद्भुत शक्ति होती है। यदि इसे सिद्ध कर लिया जाए तो यह शक्ति हजारों गुना बढ़ जाती है। इसके द्वारा आप किसी से भी किसी भी तरह का मनोवांछित काम करवा सकते हैं। सियार सिंगी घर में रखने से सौभाग्य और उन्नति के नए द्वारा खुलने लगते हैं। सियार सिंगी को घर में रखने पर शत्रु हथियार डाल देते हैं।
सियार सिंगी को सिद्ध कैसे करें ???
किसी भी पवित्र शुक्ल पक्ष तिथि को एक जोड़ा सियार सिंगी लें। अपने सम्मुख एक लाल रंग का कपड़ा बिछा दें और उस पर सियार सिंगी को स्थापित कर दें। इसके ऊपर थोड़ा सा गंगा जल छिड़क कर इसे शुद्ध कर लें। सियार सिंगी के सम्मुख एक सरसों के तेल का दिया प्रज्वलित कर दें। एक लाल रंग का कपड़ा बिछाकर आप भी उस पर बैठ जाएं। अब सियार सिंगी के ऊपर कुछ चावल, पांच इलायची और पांच लौंग चढ़ाएं। ऐसा करने के बाद आप इस मंत्र का 2100 बार उच्चारण करें।
ॐ चामुंडाय नम:
जप पूरा होने पर अग्नि में 21 बार गुग्गल की आहुति दें।
सियार सिद्धि मंत्र इस प्रकार है–
ॐ नमो भगवती रुद्रानी चामुंडानि घोरानी सर्व पुरुष क्षोभनी सर्व शत्रु विद्रावनी।
ॐ आं क्रोम ह्रीं जों ह्रीं मोहाय मोहाय क्षोभय क्षोभय मम वशि कुरु वशि क्रीं श्रीं हीं क्रीं स्वः।।
मंत्र उच्चारण संपन्न होने के बाद एक चांदी की डिबिया में इस सियार सिंगी को कपूर, मीठे सिंदूर, 5 लौंग और 5 इलायची के साथ रख दें। अब यह सियार सिंगी सिद्ध हो चुका है। इस डिबिया में थोड़े से चावल और उड़द दाल के दाने भी डाल दें। इस डिबिया को प्रतिदिन पूजा के स्थान पर रखें।