
नई दिल्ली। वैसे तो हिंदू धर्म में बहुत सी चीजों का अपना ही एक महत्व है लेकिन इसमें किसी भी शुभ कार्य, पूजा-पाठ के दौरान हाथों में कलावा बांधा जाता है। सूती का बना ये धागा गहरा लाल और पीले रंग का होता है। यह सूती का बना होता है, इसलिए इसका रंग जल्द उतर जाता है। ऐसे में लोग बिना विचार किए, इनको हाथों से उतार देते हैं। हालांकि, हिंदू धर्म में कलावा बांधने और उतारने के अपने अलग ही नियम हैं। बिना इन नियमों के कलावे को उतारकर इधर-उधर फेंकना शुभ नहीं मानते है। ऐसे में आइए जानते हैं, क्या हैं हिंदू धर्म में कलावा बांधने और उतारने के नियम
कलावे का महत्व
हिंदू धर्म में जिस तरह से कलावे का महत्व बताया गया है, उसी तरह इस कलावे को बांधने, उतारने या बदलने के नियम भी रखे गए हैं हिंदू धर्म के लोग उसी नियम के अनुसार उसे पहनते या उतारते है और इसी नियमों को ध्यान में रखकर ही कलावा बांधना और उतारना चाहिए। हिंदू धर्म में शुभ कार्यों के दौरान हाथों में कलावा बांधना बहुत अच्छा माना जाता है। शास्त्रों के मुताबिक, हाथ में कलावा बांधने से जीवन में आने वाले संकट दूर हो जाते हैं। हालांकि, कलावा बांधने के बाद थोड़े दिन में ही यह पुराना भी पड़ जाता है या इसका रंग भी फीका पड़ जाता है। जिसकी वजह से लोग इसे उतारने या बदलने लगते हैं।
इन नियमों का रखें ध्यान
कलावे को हमेशा तीन या पांच राउंड घुमाकर ही हाथों में बांधना चाहिए। वहीं, कलावा उतारने के लिए मंगलवार या शनिवार का दिन सबसे अच्छा माना जाता है। इस दिन आप इसे उतार कर नया कलावा हाथ में बांध सकते हैं। इसे आप विषम यानी पहले तीसरे या पांचवें संख्या वाले दिन भी उतार सकते है। बस इस बात का ध्यान रखना है कि इन विषम संख्या वाले दिन में मंगलवार या शनिवार ना पड़ रहा हो।