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जनवरी 2020 में ग्रहों के योग संयोग से आने वाले दिनों में सर्दी अपना प्रचंड रूप दिखाएगी

पंडित दयानन्द शास्त्री का मानना है कि शीत ऋतु में चतुर्थ व पंचग्रही युति का प्रभाव मौसम में स्पष्टरूप से देखने को मिलेगा। जनवरी 2020 से मौसम में विचित्र परिवर्तन दिखाई देगा। पहाड़ों पर बर्फबारी के साथ मैदानी इलाकों में मघावट जैसी बारिश व ओला वृष्टि होगी।

उज्जैन के पंडित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि पंचांगनुसार जनवरी 2020 में चल रही ठंड अभी तक के सारे रेकॉर्ड तोड़ सकती है। इन दिनों में चर्तुग्रही व पंचग्रही योग बन रहे हैं, जिसका असर जल्द ही कड़ाके की ठंड के रूप में नजर आएगा।

ज्योतिषियों के अनुसार शनि वर्ष गणना के अनुसार 30 साल बाद ग्रह-युति योग का भी संयोग बन रहा है। बृहस्पति वर्ष गणना से 12 साल बाद ग्रहों की ऐसी स्थिति बन रही है, जिनसे चतुर्ग्रही व पंचग्रही योग बनेंगे। इन परिवर्तनों का असर मौसम और जलवायु के साथ सामान्य जनजीवन पर भी दिखाई देगा।

ऐसे बनगा चतुर्ग्रही व पंचग्रही संयोग

उज्जैन के ज्योतिर्विद पंडित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार ग्रहों की युति और दृष्टि संबंध सहित बनने वाले चतुर्ग्रही व पंचग्रही योग कई सालों में बनते हैं।

24 जनवरी 2020 से सूर्य व शनि पिता-पुत्र एक ही राशि में स्थित होने एवम  24 जनवरी 2020 को ही शनि का मकर राशि में प्रवेश करते ही सूर्य व शनि की युति बनेगी। इस अवधि में पिता-पुत्र एक ही राशि में रहेंगे। इनका अच्छा असर न्याय, सामाजिक मूल्य का प्रभाव बढ़ेगा तथा प्राकृतिक विपदाओं में कमी आएगी।

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ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि यदि ग्रह-गोचर की गणना करें तो इस बार का शीतकालीन प्राकृतिक सत्र पूर्वोत्तर तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र पर पुराने रेकॉर्ड तोड़ेगा। उसका मुख्य कारण यह है कि दिसंबर-जनवरी माह में ग्रहों का युतिकृत व दृष्टि संबंध मौसमी प्रभाव को दर्शाएगा, जिसके प्राकृतिक परिवर्तन तथा ऋतुकालीन स्थिति आम जन जीवन को प्रभावित करेगी।

पंचागीय गणना के अनुसार इस वर्ष 2020 के जनवरी महीने में में ग्रहों का राशि व नक्षत्र परिवर्तन या प्रवेश की स्थिति बन रही है।

इस दौरान मौसम में परिवर्तन नजर आएगा। पूर्व-उत्तर में कहीं-कहीं बर्फ बारी तथा मावठे की बारिश होगी। इससे ठंड में तेजी आएगी।

24 दिसंबर से चंद्र योग में उक्त चार ग्रहों के साथ बुध की युति बनेगी। बुध को मौसम का कारक ग्रह माना जाता है। ऐसे में पंचग्रही युति योग में भीषण सर्दी के रूप में इसके प्रभाव देखने को मिलेंगे। सूर्य 15 जनवरी तथा बुध 17 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करेंगे। उसके सात दिन बाद 24 जनवरी को शनि भी मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे। ऐसे में मकर राशि में सूर्य, बुध व शनि का त्रिग्रही युति योग बनेगा।

मौसम पर होगा यह प्रभाव

पंडित दयानन्द शास्त्री का मानना है कि शीत ऋतु में चतुर्थ व पंचग्रही युति का प्रभाव मौसम में स्पष्टरूप से देखने को मिलेगा। जनवरी 2020 से मौसम में विचित्र परिवर्तन दिखाई देगा। पहाड़ों पर बर्फबारी के साथ मैदानी इलाकों में मघावट जैसी बारिश व ओला वृष्टि होगी।

पश्चिमोत्तर क्षेत्र में इसका सबसे अधिक प्रभाव नजर आएगा। पश्चिम उत्तर के क्षेत्र तथा राष्ट्रों में अत्यधिक ठंड पड़ेगी। इसका प्रभाव करीब 1 माह तक रहेगा। इस दौरान सर्दी पूर्व के कई वर्षों के रिकॉर्ड तोड़ेगी। 17 मार्च 2020  के बाद ही स्थिति समान्य होगी।

यह स्थिति चतुर्ग्रही व पंचग्रही युति के रूप में दिखाई देगी। धनु राशि में पहले से गुरु, शनि व केतु मौजूद है। सूर्य के प्रवेश से चतुर्ग्रही युति योग बनेगा। धनु राशि में इन चार ग्रहों को मिथुन राशि स्थित राहु पर समसप्तक दृष्टि संबंध बनेगा।

इस दृष्टि से पूर्व तथा उत्तर दिशा के राज्यों में प्राकृतिक बदलाव होने की संभावनाएं हैं। बारीश, बर्फबारी और ओलावृष्टि के रूप में इसका असर भी दिखेगा। यह असर 30 जनवरी 2020 तक रहेगा। इसके बाद बदलाव होने लगेंगे।

नीमच के ज्योतिषाचार्य पण्डित भागीरथ जोशी के अनुसार वैज्ञानिक खगोलीय मान्यता भी इनके साथ जुड़ी होने से इनका महत्व बढ़ जाता है।

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चार ग्रहों का युति संबंध

ग्रह परिभ्रमणकाल में सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही वहां मौजूद गुरु, शनि, केतु से चर्तुग्रही युति संबंध बनेगा, जो राहू से सम-सप्तक दृष्टि संबंध बनाएगा। यह स्थिति भी मौसम के परिवर्तन का संकेत करती है। धनु राशि पूर्वोत्तर की कारक राशि मानी जाती है, किंतु ग्रहों की दिशा व राशि का देशिक संबंध मिलकर क्षेत्र विशेष को टारगेट करता है, जिससे ऋतुकालीन प्रभाव अपनी प्रकृति बदलता है।

बुध, शनि व गुरु के अस्त होने से भी बढ़ेगा प्रभाव

मैदिनी ज्योतिष शास्त्र में जलवायु, पर्यावरण व प्रकृति के परिवर्तन का कारक ग्रह बुध को माना जाता है। बुध उस समय ठंडी हवा को सहयोग करेगा, उत्तरी ध्रुव पर बर्फबारी के क्षेत्रीय प्रभाव भी दिखाई देंगे। अर्थात उत्तर दिशा से संबंधित राज्यों व राष्ट्रों में इसका प्रभाव नजर आएगा। गुरु के अस्त होने से भी पूर्वोत्तर क्षेत्र में बर्फबारी व मावठे के योग बनेंगे।

नीमच के पंचांगकर्ता ओर मेदिनीय ज्योतिष के जानकार पण्डित भागीरथ जोशी जी ने बताया कि ग्रहों के स्वभाव से देश के कई भागों में तो अच्छी वर्षा रहेगी, कुछ क्षेत्र कम वर्षा से तो कुछ अधिक वर्षा से प्रभावित होंगे। इस वर्ष जनवरी 2020 से लेकर दिसंबर 2020 तक देश के इन क्षेत्र या शहरों में ग्रहों के अनुसार कितनी बारिश होगी इसका पूरा पूरा अनुमान लगाया जा रहा है।

जनवरी

6 से 10 जनवरी, 20 से 24 जनवरी, 28 से 30 जनवरी तक देश के कई हिस्सों में शीतलहर, हिमपात, ओलावृष्टि हो सकती है।

फरवरी

19 से 24 फरवरी के बीच अधिकतर शहरों में वायु, बादल, वर्षा, शीतलहर, हिमपात, ओलावृष्टि की भरपूर संभावना है।

मार्च

3 से 6 मार्च, 9 से 11 मार्च शीतलहर, हिमपात, ओलावृष्टि हो सकती है।

अप्रैल

मौसम परिवर्तन से गर्मी का प्रकोप भरपूर रहेगा, कुछ स्थानों पर तेज हवा, कहीं छुटपुट बारीश भी होगी।

मई

7 से 10 मई, 24 से 29 मई तक गर्म लू चलेगी।

जून

1 से 10 जून उमस वाली गर्मी, 15 से 17 जून, 24 से 28 जून तक वायु, बादल, आंधी के साथ देश के कई हिस्सों में साधारण से भारी बारीश हो सकती है।

जुलाई

2 से 5, 9 से 13 जुलाई, 20 से 30 जुलाई तक देश के पूर्वोत्तरी राज्यों में अतिवर्षा एवं पश्चिमी राज्यों में सामान्य बारिश होगी।

अगस्त

2 से 13 अगस्त, 20 से 21 अगस्त पूरे भारत में भारी बारिश होगी, साथ कुछ क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति भी बनेगी।

सितंबर

1 से 7 सितंबर, 12 से 18 एवं 26, 28 से 31 सितंबर तक अच्छी बारीश, बिजली, बाढ़ के कारण कई शहरों में क्षति की स्थिति बनेगी।

अक्टूबर

5 से 7 अक्टूबर, 10 से 13 अक्टूबर, 19 से 30 अक्टूबर तक खण्डवृष्टि हो सकती है।

नवंबर

2 से 4 नवंबर, 17 से 19 नवंबर एवं 20 से 30 नवंबर तक देश के कई हिस्सों में प्रकृति प्रकोप से जन हानि हो सकती है।

दिसंबर

4 से 5 दिसंबर, 11 से 14, 24 से 26 एवं 29 से 31 दिसंबर तक देश के कई हिस्सों में खण्डवृष्टि, शीतलहर हो सकती है।

2 से 13 जनवरी 2020 तक बन रहे पंचग्रही योग

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पंडित अभिषेक जोशी ने बताया कि  2 जनवरी 2020 को सूर्य, गुरु, शनि, केतु के साथ बुध का युति संबंध बनेगा। युति कृत बुध का प्रभाव इन बारह दिनों में विशेष तौर पर दिखाई देगा। यह समय पृथ्वी के ज्यादातर भागों पर अपना रौद्र प्रभाव छोड़ेगा।

15 जनवरी 2020 के बाद आंशिक राहत मिलेगी। सूर्य के उत्तरायण की अयन पद्धति में मकर राशि के प्रवेश काल से मौसम में ऊष्मा का प्रभाव बढ़ जाता है।