नई दिल्ली। शास्त्रों में कहा गया है कि नवरात्र (Navratri 2020) के दिनों में हर दिन 1, 3, 5, 9, 11 विषम संख्या में अपनी क्षमता के अनुसार कन्या का पूजन (Kanya Pujan) करना चाहिए। अगर हर दिन संभव ना हो तो अष्टमी (Ashtami), नवमी (Navami) को भी कन्या पूजन कर सकते हैं। लेकिन इस समय सभी व्रतियों के लिए समस्या है कि वह कैसे अपने घर कन्या को आमंत्रित करे। इस कठिन समय में आप घर के बाहर से कन्या को आमंत्रित किए बिना कैसे कन्या पूजन कर सकते हैं।
इस नवरात्र में जब आप घर के बाहर से कन्याओं को अपने घर में आमंत्रित नही कर सकते हैं तो ऐसे में आप कन्या पूजन के लिए अपने घर की बेटी, भतीजी और अन्य कन्याओं को भोजन करवाकर उनका पूजन करें। लेकिन पूजन से पहले आप हाथ में जल लेकर यह संकल्प करें कि नवरात्र में कन्या पूजन के लिए मैं अपनी पुत्री को देवी मानकर उनका पूजन करता या करती हूं। ज्योतिर्विद पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के मतानुसार कन्या को मीठा भोजन कराएं और जो भी दान देना हो उन्हें देवी भाव से ही भेंट करें। उस भेंट पर आप अपना अधिकार ना दिखाएं। नवरात्र के दौरान कन्या का अपमान ना करें।
दुर्गा अष्टमी पूजन का विशेष महत्व है। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्याओं का मां का रुप मानकर पूजन किया जाता है। इसके साथ ही महागौरी और सिद्धिदात्री देवी की पूजा के बाद हवन किया जाता है। अष्टमी और नवमी तिथि पर लोग अपनी कुल देवी की पूजा भी करते हैं। लेकिन इस समय पूरा देश कोरोना के बढते प्रकोप को रोकने के लिए घर की लक्ष्मण रेखा के अंदर है।
यदि आपके घर में छोटी कन्या ना हो तो घर के मंदिर में माता की पूजा करके उन्हें विभिन्न प्रकार के भोग लगाएं और माता को भेंट सामग्री अर्पित करें। प्रसाद का कुछ हिस्सा माता का ध्यान करते हुए गाय को खिला दें। माता के प्रसाद को सभी लोगों को ग्रहण करना चाहिए। कन्या पूजन में प्रसाद स्वरूप सूखे नारियल, मखाना, मूंगफली, मिसरी भेंट कर सकते हैं।
ये प्रसाद लंबे समय तक टिकते हैं। स्थिति सामान्य होने के बाद इन्हें किसी कन्या को अथवा माता के मंदिर में भेंट कर सकते हैं। इस वर्ष की इन शारदीय नवरात्रि में ना तो कोई नवरात्र का पूजा पंडाल सजा है ना मंदिर के कपाट खुले हैं ऐसे में खोंचा देने के लिए आपको बाहर जाने की जरूरत भी नहीं है।