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जानिए कैसे ज्योतिष के सरल उपाय बदल सकते है नियति को भी

साधारण मनुष्य नियति या प्रारब्ध अटल होने के बावजूद ज्योतिष के साधारण उपायों से अपने कष्टों कों दूर कर घर में सुख-समृद्धि ला सकता है। यह पूरी तरह निश्चित है कि साधारण उपायों से जीवन में सुख शांति एवं समृद्धि लाई जा सकती है।

नई दिल्ली। साधारण मनुष्य नियति या प्रारब्ध अटल होने के बावजूद ज्योतिष के साधारण उपायों से अपने कष्टों कों दूर कर घर में सुख-समृद्धि ला सकता है। यह पूरी तरह निश्चित है कि साधारण उपायों से जीवन में सुख शांति एवं समृद्धि लाई जा सकती है। पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं की सूर्य उदय के पूर्व स्नान करने से जीवन भर सूर्य और शनि प्रसन्न रहते हैं क्योंकि दैनिक जीवन में दिनभर परिश्रम दिनभर करने से शरीर में पसीने के रूप में नमक बाहर आता है, और शनि शरीर पर प्रकट होते है।

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सूर्य और शनि पिता पुत्र होते हुए भी एक-दूसरे के शत्रु हैं। इसलिए सूर्य उदय के पूर्व स्नान करने से शनि हमारे शरीर से उतर जाते है, एवं जब सूर्य देवता शनि विहिन मनुष्य को देखते ही, ‘तथास्तु’ कहकर अपनी कृपा का पात्र बनाते हैं। दूसरी ओर शनि को भी सूर्य की किरणों से जलना नहीं पड़ता है। इसलिए वह भी ‘तथास्तु’ कहकर ऐसा करने वाले व्यक्ति को अपनी कृपा का पात्र बना लेते हैं।

ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया की प्रारब्ध या नियति तय होने पर उनके अनुसार व्यक्ति को फल मिलता है। लेकिन श्रद्धा और आस्था से किए गए कुछ उपाय नियति द्वारा तय फल को बदल देते हैं। इसे इस कहानी द्वारा समझा जा सकता है–

एक राजा को वृद्धा अवस्था में एक पुत्र उत्पन्न हुआ। राज ज्योतिषी ने उसकी जन्मपत्री देख कर राजा से कहा: ‘राजन, यह आपका पुत्र अत्याचारी और दुराचारी होगा। वह प्रजा का नाश कर देगा।’ राजा ने एक वर्ष के पश्चात् रानी को समझाकर अपने उस पुत्र को गुरूकुल में छोड़ दिया। 18 वर्ष के पश्चात् एक युवक की कीर्ति पूरे राज्य में फैलने लगी। राजा उस युवक से मिलने गुरूकुल पहुंचे। गुरूकुल के आचार्य ने राजा से कहा, ‘यह आपका ही पुत्र है यह धर्मानुरागी, वेदों का ज्ञाता और प्रत्येक क्षेत्र में निपुण है।’ अपने पुत्र को देख कर राजा को राज ज्योतिषी पर क्रोध आया। उन्होंने राज ज्योतिषी को मृत्यु दंड सुना दिया, जिसकी वजह से उनका पुत्र 18 साल तक उनसे दूर रहा। आचार्य ने राज ज्योतिषी का मृत्युदंड सुन कर कहा – ‘राजन, राज ज्योतिषी ने जो कहा, वह सत्य था। जन्म के समय राजकुमार के सभी पापी ग्रह अत्यधिक बलशालि थे, परंतु गुरूकुल में रहने से राजकुमार को किसी भी प्रकार से पाप कर्म करने का अवसर नहीं मिला। जिसके कारण समस्त पापी ग्रह निर्बल हो गए एवं समस्त शुभ ग्रह सत् पाकर अधिक बलवान हो गए। राजकुमार ने सत कर्मों से अपनी नियति बदल दी।

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पंडित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार उपरोक्तानुसार कोई भी व्यक्ति सत्कर्मों से प्रारब्ध और नियति को बदल सकता है, जीवन में आने वाले विभिन्न प्रकार के दुखों या कष्टों को सामान्य प्रकार के ज्योतिष-उपायों से दूर किया जा सकता है और सुख समृद्धि व धन लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

उपाय निम्नलिखित हैं–

शारीरिक कष्टों को दूर करने और काया को निरोगी रखने के लिए
महामृत्युंजय कि एक माला नियमित रूप से करें और सूर्य को नियमित रूप से जल चढ़ाएं।

आर्थिक स्मृद्धि के लिए

भोजन बनाते हुए घर में बनी प्रथम रोटी पर थोड़ा-सा गुड़ रख कर गाय को खिलाएं एवं घर में बनी अंतिम रोटी तेल में सेक कर काले कुत्ते को खिलाएं। यदि काला कुत्ता न मिले तो किसी भी सामान्य कुत्ते को प्रेम और विश्वास से खिलाएं।

परिवारिक सुख के लिए

शिव परिवार का आस्था पूर्वक पूजन करें। इसके अतिरिक्त शिव परिवार का चित्र, जिसमें कार्तिक व गणेश दोनों विराजमान हों, घर में जरूर लगाएं। यह चित्र उत्तर-पूर्व अथवा उत्तर या पूर्व दिशा में लगाएं।

विवाह न होने पर, विवाह के लिए

शिव पार्वती का स्वंयवर वाला चित्र जातक के शयन कक्ष में लगाना चाहिए। गुरूवार को गाय को विषम संख्या में केले खिलाने चाहिए।

संतान प्राप्ति के लिए

1) भागवत कथा करा कर कृष्ण जन्मोत्सव मनाना चाहिए, अथवा रामचरित मानस का पाठ करवा कर राम जन्म उत्सव मनाएं।
2) किसी गरीब दम्पति की संतान उत्पन्न होने पर बच्चे के उपयोग में आने वाले समस्त सामान सहित पालना दान करना चाहिए।

दुर्घटनाओं को दूर रखने के लिए

रक्तदान करें। इससे आकस्मिक दुर्घटनाओं से बचे रहेंगे।

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वैवाहिक सुख के लिए

मीठा पान, दूध, आईसक्रीम, दही-मिस्री या पनीर से बने पदार्थ, शुक्रवार को महिलाओं के आश्रम में यथा शक्ति दान करें ।