नई दिल्ली। इस साल देव दिवाली (Dev Deepawali 2021) 18 नवंबर को पड़ रही है। इस दिन गुरूवार है। कार्तिक मास की पूर्णिमा को देव दिवाली मनाई जाती है। ये पर्व हर साल उत्तर प्रदेश के काशी (Kashi) में मनाया जाता है। काशी की ये परंपरा है, वहां हर साल देव दिवाली मनाई जाती है। इसे त्रिपुरोत्सव या त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन तुलसी विवाह का भी समापन होता है। कहा जाता है कि दीप दीपावली के दिन देवता जागृत होते हैं, अगर इस दिन नदी में दीपदान किया जाए तो व्यक्ति को लंबी आयु की प्राप्ती होती है।
क्यों मनाई जाती है दीप दीपावली
कथा के अनुसार, त्रिपुरासुर नामक राक्षस ने अपने आंतक से सभी को परेशान कर दिया था। देवता और ऋषि मुनि भी उसके आंतक से त्रस्त थे। तब एक दिन सभी देवता भगवान शिव के पास मदद के लिए पहुंचे। जहां उन्होंने भगवान शिव से त्रिपुरासुर राक्षस के वध की मांग की। इसके बाद शिवजी ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध कर दिया। इसी खुशी में सभी देवताओं ने प्रसन्न होकर भोलेनाथ की नगरी काशी में दीप जलाए और खुशियां मनाई। इस दिन के बाद से आज तक कार्तिक मास की पूर्णिमा पर काशी में बड़े धूम-धाम से देव दीपावली मनाई जाती है।
देव दिवाली महत्व
देव दीपावली का पर्व भगवान शिव के त्रिपुरासुर पर विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। ये त्योहार दिवाली के बाद आता है। दिवाली के 15 दिन बाद इसे मनाया जाता है। बता दें कि दिवाली कार्तिक अमावस्या के दिन आती है वहीं देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा के दिन होती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन सभी देवी-देवता काशी जाते है और वहां ये त्योहार मनाते है। इस दिन शाम में गंगा मईया का पूजन और आरती की जाती है। इसके साथ ही गंगा घाटों पर दिए जलाए जाते है। सभी घाट दियों से रोशन होते है। कहा ये भी जाता है कि इस दिन दान-धर्म करने से अनंत फल मिलता है।