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Vastu Dosha : जानें और समझें की संतान सुख से कैसे वंचित करता है आपके घर का वास्तु दोष ??

Vastu Dosha : हमारे जीवन यात्रा में शादी (Marriage) और संतान (Children) का बहुत ही महत्त्व है। घर में खुशियां संतान के होने से ही आती है। एक विधवा स्त्री भी अपने बच्चे के सहारे पूरा जीवन सुखपूर्वक जी लेती है।

नई दिल्ली। हमारे जीवन यात्रा में शादी (Marriage) और संतान (Children) का बहुत ही महत्त्व है। घर में खुशियां संतान के होने से ही आती है। एक विधवा स्त्री भी अपने बच्चे के सहारे पूरा जीवन सुखपूर्वक जी लेती है। संतान प्राप्ति के लिए पति-पत्नी क्या-क्या उपाय नहीं करती है परन्तु कई बार एक छोटी सी गलती के कारण जातक संतान सुख से वंचित हो जाता है। यहां, जानें संतान सुख से कैसे वंचित करता है आपके घर का वास्तु दोष (Vastu faults)।

वास्तु दोष और संतान सुख

आप जिस घर में निवास कर रहे हैं और यदि वह मकान वास्तु के अनुरूप नहीं है तो निश्चित ही आपकी इच्छापूर्ति में बाधक होगा। संतान के जन्म में वास्तु शास्त्र की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यदि आपकी शादी हो गई है और चाह कर भी संतान सुख नहीं मिल पा रहा है तो इसके लिए चिकित्सीय उपचार के साथ साथ अगर घर भी वास्तु शास्त्र के नियम अनुसार हो तो सन्तान प्राप्ति में अवश्य ही सहायक होगा। हमारा शरीर पञ्च तत्त्वों के मिलन से बना है और घर भी इन्हीं तत्त्वों के मेल बना होता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार मकान अष्ट दिशाओं से प्राप्त उर्जा क्षेत्रों से बना होता है और यदि घर के उर्जा क्षेत्र प्रकृति अर्थात उसमें निवास करने वाले सदस्यों की उर्जा क्षेत्र के सामजंस्य में होता है तो जीवन के सभी क्षेत्र में निश्चित ही सफलता मिलती है किन्तु यदि किंचित उर्जा क्षेत्र प्राकृतिक उर्जा क्षेत्र के विपरीत होते हैं तो जीवन के उस क्षेत्र में रुकावट आती है। घर की अष्टकोणीय उर्जा मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित करती है यथा — संतान, स्वास्थय, व्यवसाय, धन इत्यादि । आज हम संतान रहित मकान के संबंध में विचार करेंगे की घर में किस गलती के कारण जातक संतान सुख से वंचित होता है। संतान प्राप्ति के लिए पढ़े संतान गोपाल स्तोत्र

घर के मुख्य द्वार की स्थिति

संतान प्राप्ति में घर के मुख्य द्वार की स्थिति का बहुत प्रभाव होता है। घर का मुख्य द्वार, उत्तर दिशा में मुख्य पद ( पद संख्या 20) या उत्तर में ही सोम/कुबेर पद (पद संख्या 29) पश्चिम के पुष्पदंत पद या (पद संख्या 27) पर होने पर संतान सुख की प्राप्ति होती है। घर का मुख्य द्वार अगर पूर्व दिशा के पर्जन्य पद (पद संख्या 2) में है तो सामान्यतः कन्या का जन्म होता है।

ईशान कोण

यदि आपके घर के ईशान कोण अर्थात उत्तर- पूर्व दिशा में कोई भी वास्तु दोष है तो वह संतान सुख में बाधा डालता है। यदि इस दिशा में सीढियां, टॉलेट, भारी निर्माण, इस स्थान का ऊंचा होना इत्यादि है तो जातक संतान सुख से वंचित हो सकता है। वस्तुतः इस स्थान में कोई दोष नहीं होना क्योकि यह स्थान देवता का होता है।

संतान सुख से वंचित करता है घर का वास्तु दोष

उपरोक्त दृश्य चित्र में ईशान्य दिशा में घर के मालिक का शयन कक्ष है इसके पास ही गोदाम है और गोदाम के पास रसोईघर है। इस प्रकार यहां शयनकक्ष (मंगल ग्रह) गोदाम (शनि ग्रह) तथा रसोई (शुक्र ग्रह) के कारण प्रभावित है। घर का स्वामी दाम्पत्य सुख पूर्ण रूप से लेने में असमर्थ हैं इसका मुख्य कारण है शुक्र (रसोई घर) मंगल (शयन कक्ष) के बीच शनि (गोदाम) का स्थित होना है।

जानें, आपकी कुंडली में संतान सुख है या नहीं ?

व्यक्ति का पारिवारिक जीवन सुखी नहीं है। घर में स्थित सीढ़ियां भी ऊंची हैं। मुख्य प्रवेश द्वार के पास स्नान घर (चंद्र) है मुख्य द्वार (राहु ग्रह) से प्रभावित है। इस प्रकार से देखें तो यह घर राहु, चंद्र एवं शुक्र ग्रह से प्रभावित है। घर के पूर्व दिशा खुला नहीं है अर्थात एकदम बंद है। पूर्व दिशा में टॉयलेट एवं रसोई घर पास पास है। घर के पूर्व दिशा में आधा बना किसी दूसरे का मकान है।

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घर की प्रतिकूल वास्तु परिस्थितियां के कारण इस घर मालिक को कोई भी संतान नहीं है। मध्यम आयु में ही इनकी पत्नी का स्वर्गवास हो गया है। घर के दाहिनी ओर बड़ा गेट है। गेट के पास गली है जो बंद है। जिस घर के पास का गली बंद हो ऐसा भवन वास्तुशास्त्र में पूर्णतया अशुभ माना जाता है। वास्तु शसस्त्र की दृष्टि से घर की पूरी संरचना ही वास्तु नियम के विरुद्ध है। परिणामस्वरूप जातक में खुशियों का अभाव है।