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Karwa Chauth 2023: करवा चौथ के दिन इतने बजे होगा चंद्रोदय, जानें व्रत से लेकर पूजा विधि तक विस्तार में

Karwa Chauth 2023: करवा चौथ के इस व्रत को करक चतुर्थी या दशरथ चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव, गणेश जी और स्कंद यानि कार्तिकेय के साथ बनी गौरी के चित्र की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत करने से जीवन में हमेशा पति का साथ बना रहता है। सौभाग्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

नई दिल्ली। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को को महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। व्रत का पारण चांद देखकर ही किया जाता है। इस साल करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर को रखा जाएगा। करवा चौथ के इस व्रत को करक चतुर्थी या दशरथ चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव, गणेश जी और स्कंद यानि कार्तिकेय के साथ बनी गौरी के चित्र की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत करने से जीवन में हमेशा पति का साथ बना रहता है। सौभाग्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

करवा चौथ पूजा विधि

करवा चौथ की पूजा के लिए अपने घर के उत्तर-पूर्व दिशा के कोने को अच्छे से साफ करके, लकड़ी का पाटा बिछाकर उस पर शिवजी, मां गौरी और गणेश जी की प्रतिमा, तस्वीर या चित्र स्थापित करें। बाजार में करवा चौथ की पूजा के लिए कैलेंडर भी मिलते हैं, जिस पर सभी देवी-देवताओं के चित्र बने होते हैं। इस प्रकार देवी- देवताओं की स्थापना करके पाटे की उत्तर दिशा में एक जल से भरा लोटा या कलश स्थापित करें और उसमें थोड़े-से चावल डाल दें। अब उस पर रोली, चावल का टीका लगाकर लोटे पर मौली बांध दें।

कुछ लोग कलश के आगे मिटटी से बनी गौरी की प्रतिमा या सुपारी पर मौली लपेटकर भी रखते हैं। इस प्रकार कलश की स्थापना के बाद मां गौरी की पूजा करनी चाहिए और उन्हें सिंदूर चढ़ाना चाहिए। इस दिन चीनी से बने करवे का भी पूजा में बहुत महत्व होता है। कुछ लोग मिट्टी से बना करवा भी रख लेते हैं। साथ ही चार पूड़ी और चार लड्डू तीन अलग-अलग जगह लेकर, एक हिस्से को पानी वाले कलश के ऊपर रख दें। इसके दूसरे हिस्से को करवे पर रखें और तीसरे हिस्से को पूजा के समय महिलाएं अपने साड़ी या चुनरी के पल्ले में बांध लें। कुछ जगहों पर पूड़ी और लड्डू के स्थान पर मीठे पुड़े भी चढ़ाए जाते हैं। आप अपनी परंपरा के अनुसार इसका चयन कर सकते हैं।

इतने बजे होगा चंद्रोदय

देवी मां के सामने घी का दिया जलाएं और उनकी कथा पढ़ें। इस प्रकार पूजा के बाद अपनी साड़ी के पल्ले में रखे प्रसाद और करवे पर रखे प्रसाद को अपने बेटे या अपने पति को खिला दें और कलश पर रखे प्रसाद को गाय को खिला दें। बाकी पानी से भरे कलश को पूजा स्थल पर ही रखा रहने दें। रात को चंद्रोदय होने पर इसी लोटे के जल से चंद्रमा को अर्घ्य दें और घर में जो कुछ भी बना हो, उसका भोग लगाएं। इसके बाद व्रत का पारण करें। बता दें कि 1 नवंबर को करवा चौथ के दिन चंद्रोदय रात 8 बजे होगा।