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Sawan Pradosh Vrat 2022: आज है शिवजी का प्रिय सोम प्रदोष व्रत, जानिए इस बार क्यों है इतना खास?

Sawan Pradosh Vrat 2022: सावन के महीने में सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त क्या है? इस वर्ष सावन में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का महत्व अधिक है क्योंकि इस बार प्रदोष व्रत सावन के सोमवार के ही दिन पड़ रहा है।

नई दिल्ली। सनातन धर्म में मान्यता प्राप्त कैलेंडर पंचांग में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से भगवान शिव के प्रिय प्रदोष व्रत को रखता है। उससे प्रसन्न होकर भगवान शंकर उसकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं। इस बार ये तिथि सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी यानी 11 जुलाई, सोमवार को पड़ रही है। प्रदोष व्रत की तिथि जिस दिन पड़ती है उसे उसी दिन के नाम से बुलाया जाता है। इस बार ये तिथि सोमवार को पड़ रही है इसलिए इसे ‘सोम प्रदोष व्रत’ के नाम से जाना जाएगा। सोम प्रदोष व्रत का संबंध चंद्रमा से माना जाता है। इसलिए इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा आदि करने से ग्रहों का अशुभ प्रभाव खत्म होता है। इसके अलावा, व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति भी मजबूत होती है। आइए जानते हैं सावन के महीने में सोम प्रदोष व्रत की पूजा-विधि और शुभ-मुहूर्त क्या है? इस वर्ष सावन में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का महत्व अधिक है, क्योंकि इस बार प्रदोष व्रत सावन के सोमवार के ही दिन पड़ रहा है। सोम प्रदोष को व्रत रखने से सावन के सोमवार और प्रदोष व्रत दोनो का लाभ भक्तों को प्राप्त होगा।

शुभ मुहूर्त

इस बार प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त, 11 जुलाई सोमवार को शाम 7 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर 9 बजकर 21 मिनट तक रहेगा।

प्रदोष व्रत पूजा-विधि

  • सोम-प्रदोष के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लें।
  • इसके बाद पास के किसी शिव मंदिर में जाकर बेल-पत्र अर्पित करें।
  • इसके बाद अक्षत, धूप-दीप, गंगाजल, फूल, मिठाई आदि अर्पित करते हुए भगवान शिव जी की विधिपूर्वक पूजा करें और व्रत रखें।

  • पूजा के दौरान शिवजी का स्मरण करते हुए मंत्रों का जाप करें।
  • शाम के समय शिव परिवार को पंचामृत से स्नान कराएं और उसके बाद उन्हें उनकी प्रिय चीजें अर्पित करें।
  • माता पार्वती को ऋंगार का सामान भी अर्पित करें।
  • उसके बाद प्रसाद से व्रत का पारण कर लें।