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Holi 2021: आखिर क्यों किया जाता है होलिका दहन, जानें वजह

Holi 2021: होली से एक दिन पहले यानी आज होलिका दहन (Holika Dahan 2021) मनाई जा रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि होलिका दहन क्यों मनाया जाता है और हिंदू धर्म में इसकी इतनी महत्वता क्यों हैं।

नई दिल्ली। साल 2021 में होली 29 मार्च 2021 (Holi 2021) को पड़ने वाली है। जिसे रंगो का त्योहार कहा जाता है। इसे असत्य पर सत्य की जीत के रूप में मनाया जाता है। होली से एक दिन पहले यानी आज होलिका दहन (Holika Dahan 2021) मनाई जा रही है, जिसे भक्त प्रह्लाद के विश्वास और उसकी भक्ति के रूप में मनाया जाता है।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार होलिका दहन को होलिका दीपक या छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है जो होली से एक दिन पहले मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते है कि होलिका दहन क्यों किया जाता है।

राजा हिर्ण्यकश्यप अहंकार वश स्वयं को ईश्वर मानने लगा। उसकी इच्छा थी की केवल उसी का पूजन किया जाए, लेकिन उसका स्वयं का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। पिता के बहुत समझाने के बाद भी जब पुत्र ने श्री विष्णु जी की पूजा करनी बंद नहीं कि तो हिरर्ण्यकश्यप ने अपने पुत्र को दण्ड स्वरूप नाना प्रकार दण्ड दिए फिर भी प्रह्लाद की आस्था और भक्ति कम नहीं हुई फिर उसे आग में जलाने का आदेश दिया। इसके लिए राजा ने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को जलती हुई आग में लेकर बैठ जाए, क्योंकि होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जलेगी।

इस आदेश का पालन हुआ, होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गई। लेकिन आश्चर्य की बात थी की होलिका जल गई, और प्रह्लाद नारायण का ध्यान करते हुए होलिका से बच गया। तभी से ये होलिका पर्व मनाया जाने लगा।

इस कथा से यही धार्मिक संदेश मिलता है कि प्रह्लाद धर्म के पक्ष में था और हिरण्यकश्यप व उसकी बहन होलिका अधर्म निति से कार्य कर रहे थे। अतंत: देव कृपा से अधर्म और उसका साथ देने वालों का अंत हुआ। इस कथा से प्रत्येक व्यक्ति को यह प्ररेणा लेनी चाहिए, कि प्रह्लाद प्रेम, स्नेह, अपने देव पर आस्था, द्र्ढ निश्चय और ईश्वर पर अगाध श्रद्धा का प्रतीक है। वहीं, हिरण्यकश्यप और होलिका ईर्ष्या, द्वेष, विकार और अधर्म के प्रतीक है।