नई दिल्ली। नवरात्रि (Navratri 2021) का तीसरा दिन भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त करने का होता है। इस दिन मां के चंद्रघंटा (Chandraghanta) स्वरूप की उपासना की जाती है। इनके सर पर घंटे के आकार का चन्द्रमा है। अतः इनको चंद्रघंटा कहा जाता है। इनके दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं और इनकी मुद्रा युद्ध की मुद्रा है। मां चंद्रघंटा तंत्र साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती हैं।
ज्योतिष में इनका संबंध मंगल नामक ग्रह से होता है। इस बार मां के तीसरे स्वरूप की उपासना 15 अप्रैल को की जा रही है। ऐसे में यहां जानें कि मां चंद्रघंटा की पूजा कैसे की जाए साथ ही उनकी पूजा से कैसे कई समस्याओं से मुक्ति दिलाएगी।
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि क्या है?
– मां चंद्रघंटा की पूजा लाल वस्त्र धारण करके करना श्रेष्ठ होता है।
– मां को लाल पुष्प, रक्त चन्दन और लाल चुनरी समर्पित करना उत्तम होता है।
– अतः इस दिन की पूजा से मणिपुर चक्र मजबूत होता है और भय का नाश होता है।
– अगर इस दिन की पूजा से कुछ अद्भुत सिद्धियों जैसी अनुभूति होती है, तो उस पर ध्यान न देकर आगे साधना करते रहनी चाहिए।
मां की उपासना का मंत्र-
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥