2014 से कांग्रेस सत्ता से बाहर है। सत्ता से बाहर रहने का दर्द कांग्रेस को इतना है कि वह इसे बर्दाश्त ही नहीं कर पा रही है। स्वयं को संविधान का रक्षक बताने वाली कांग्रेस आज तक संविधान का मखौल उड़ाते हुए ही आई है। आए दिन कांग्रेस नेताओं के इस तरह के बयान आते रहते हैं जो कांग्रेस की मानसिकता जाहिर करते हैं। लोकसभा चुनावों के दौरान लगातार कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संविधान को हाथ में लेकर प्रचार किया और लोगों को समझाने की कोशिश की कि भाजपा अगर दो तिहाई बहुमत से सत्ता में आती है तो बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के बनाए संविधान को बदल देगी, इस तरह का झूठा नैरेटिव खड़ा करने में कुछ कामयाबी भी कांग्रेस को मिली, लेकिन सत्य इससे बिल्कुल अलग है। संविधान की दुहाई देने वाली कांग्रेस की कहानी उजली तो कतई नहीं है।
आपातकाल की लोमहर्षक कहानी, लाखों लोगों को जेल में बंद करके लोकतंत्र का, कानून का, संविधान का, मर्यादा का हनन करने की कहानी है। हर तरह की संस्था को और न्यायपालिका का गला घोटकर खुद को सत्ता में बनाए रखने की सनक की कहानी है। आपातकाल पर बहुत कुछ लिखा जा चुका है, लगातार लिखा भी जाता है, लेकिन अभी तक कांग्रेस को घेरने के लिए इस तरह की कोई रणनीति तय नहीं थी, लेकिन अब भाजपा ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाए जाने की घोषणा कर कांग्रेस को उसी की भाषा में जवाब दिया है।
लगातार 15 सालों से सत्ता से बाहर कांग्रेस के नेताओं के बयान और कांग्रेस के सोशल मीडिया द्वारा की जाने वाली ट्रोलिंग इस कदर बढ़ गई है कि उसने सारी मर्यादा को ताक पर रख दिया है। अमेठी से चुनाव हारने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को लगातार ट्रोल किया जा रहा है। हाल ही में अभिनेत्री से भाजपा सांसद बनी कंगना रनौत पर कांग्रेस की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की चीफ सुप्रिया श्रीनेत ने अभद्र टिप्पणी की थी। चुनावों के दौरान कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने भाजपा सांसद हेमा मालिनी को लेकर अभद्र टिप्पणी की थी। एक वरिष्ठ पत्रकार ने तो गलत बयानबाजी को लेकर कांग्रेस नेता रागिनी नायक, जयराम रमेश और पवन खेड़ा के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दायर किया हुआ है, और मानहानि के लिए 100 करोड़ रुपए का हर्जाना भी मांगा है।
सरकार के सकारात्मक कामों को लेकर मीडिया में अपनी राय देने वाले पत्रकारों को कांग्रेस ने गोदी मीडिया कहकर प्रचारित किया। यही नहीं पिछले दिनों कांग्रेस ने पत्रकारों की एक सूची भी जारी की थी जिसमें कहा गया था कि इन पत्रकारों की डिबेट में कांग्रेस का कोई भी प्रवक्ता शामिल नहीं होगा। कांग्रेस बताए कि जब मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री मोदी को ‘नीच आदमी’ कहा था। जब कांग्रेस के प्रवक्ता आनंद शर्मा ने उन्हें कहा था कि प्रधानमंत्री एक अस्वस्थ मानसिकता से गुजर रहे हैं, तब उसके किसी नेता ने इस पर विरोध क्यों नहीं जताया था।
दरअसल कांग्रेस कभी सत्ता अपने हाथ से जाने ही नहीं देना चाहती इसलिए उसके तमाम नेता बौखलाए हुए हैं। कई बार कांग्रेस के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अर्मयादित शब्दों का प्रयोग कर चुके हैं। कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री और पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के दिन उनके लिए अर्मयादित शब्दों का प्रयोग किया था। सहारनपुर से कांग्रेस के सांसद इमरान मसूद ने एक चुनावी रैली के नरेंद्र मोदी को टुकड़े-टुकड़े करने की बात कही थी। सोनिया गांधी ने उन्हें जहर की खेती करने वाला कहा था, मौत का सौदागर बताया था। मणिशंकर अय्यर ने उनके लिए सांप, बिच्छू और गंदा आदमी जैसे शब्दों का प्रयोग किया था।
ये महज कुछ उदाहरण है बार—बार संविधान बचाने की बात करने वाली कांग्रेस नेताओं के बयानों और अर्मयादित शब्दों के प्रयोग करने की फेहरिस्त बहुत लंबी है। संविधान बचाओ का नारा देकर झूठा नैरेटिव खड़ा कर लोगों के बीच जाने वाली कांग्रेस को जवाब देने के लिए संविधान हत्या दिवस घोषित करने की जरूरत थी। अतीत में जो हुआ उसे भुलाया नहीं जा सकता और भुलाया जाना भी नहीं चाहिए। लोकतांत्रिक देश में जनता को चुनने का और जानने का पूरा हक है। अभी कांग्रेस द्वारा संविधान हत्या दिवस मनाए जाने को लेकर होने वाली बौखलाहट भी इसलिए है कि इसका कोई जवाब कांग्रेस के पास नहीं है। कांग्रेस नेताओं की भाषा के स्तर पर जाकर जवाब देना संभवत: राजनीतिक शुचिता रखने वाले नेता के लिए संभव न हो लेकिन संविधान हत्या दिवस मनाकर लोकतंत्र की दुहाई देने वाली कांग्रेस के मुंह पर तमाचा जरूर मारा जा सकता है।
डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।