नई दिल्ली। भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के किसी भी देश में नोटों की छपाई से लेकर उसे मौद्रिक व्यवहार तक में लाने की प्रक्रिया बहुत महफूज माहौल में की जाती है, ताकि कोई दूसरा या तीसरा शख्स उसमें सेंध ना मार सकें। अब अगर इस पूरी प्रक्रिया के दौरान कोई तीसरा शख्स सेंध मारने में सफल रहता है, तो यकीनन उस देश की मौद्रिक प्रणाली पर सवाल खड़े होंगे, जैसा कि अभी खड़े हो रहे हैं। जी हां… आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सरकार ने 500 रुपए के करीब 88 हजार से भी ज्यादा नोट छापे थे, लेकिन ये नोट रिजर्व बैंक तक नहीं पहुंचे जिसके बाद से हाहाकार मचा हुआ है। बता दें कि इस बात का खुलासा आरटीआई से हुआ है।
दरअसल, आरटीआई एक्टिविस्ट मनोरंजन रॉय ने इस संदर्भ में आरटीआई दाखिल कर जवाब पूछे थे। उनकी आरटीआई से जो जानकारी निकलकर सामने आई है, वो काफी हैरान करने वाली है। आरटीआई के मुताबिक, सरकार ने 500 रुपये के करीब 8810.65 मिलियन नोट छापे थे, लेकिन रिजर्व बैंक तक सिर्फ 7260 मिलियन नोट ही पहुंचे। लगभग 1550 मिलियिन 500 रुपये के नोट रिजर्व बैंक तक नहीं पहुंचे। वहीं अप्रैल 2015 से मार्च 2016 के बीच करंसी नोट प्रेस, नासिक की तरफ से 210 मिलियन 500 रुपये के नोट छापे गए। जो रिजर्व बैंक के पास नहीं पहुंचे। तो क्या ये सारे लगभग 1760 मिलियन यानी करीब 176 करोड़ 500 रुपये के नोट रास्ते से ही गायब हो गए? अगर इन नोटों की वैल्यू निकाली जाए तो वह लगभग 88 हजार करोड़ रुपये निकलती है।
हालांकि, यह कोई पहली मर्तबा नहीं है कि जब भारत में छपे हुए नोट गायब हुए हो, बल्कि इससे पहले भी कई मौकों पर नोट गायब हुए हैं। बता दें कि 2016-17 में रिजर्व बैंक को 500 रुपये के 166.20 करोड़ नोटों की सप्लाई की. इसी तरह 2016-17 के दौरान बेंगलुरू मिंट ने 519.565 करोड़ नोटों और देवास मिंट ने 195.30 करोड़ नोटों की सप्लाई की। इस तरह तीनों मिंट ने मिलकर रिजर्व बैंक को 500 रुपये के 881.065 करोड़ नोट सप्लाई किए। वहीं रिजर्व बैंक का कहना है कि उसे 500 रुपये के सिर्फ 726 करोड़ नोट मिले। अब बहुत मुमकिन है कि आगामी दिनों बीजेपी की ओर से इस मसले को मुद्दा बनाकर केंद्र की मोदी सरकार पर सवाल दागे जाएंगे।