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Vedanta: अडानी के बाद अब OCCRP के लपेटे में आया Vedanta , लगाए ये गंभीर आरोप तो…!

Vedanta: वेदांता के पूर्व चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने पूर्व पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेडकर को पत्र लिखकर कहा था कि सरकार खनन कंपनियों को बिना पर्यावरण मंजूरी दिए उत्पादन की मात्रा को 50 फीसद तक बढ़ा सकती है।

नई दिल्ली। ओसीसीआरपी द्वारा अडानी पर लगाए गए आरोपों के बाद शुरू हुआ विवाद का सिलसिला अभी थमा भी नहीं था कि अब इस विदेशी संगठन ने Vedanta पर गंभीर लगाए हैं। ओसीसीआरपी ने केंद्र सरकार पर Vedanta के अनुचित गतिविधियों को शह देने का भी आरोप लगाया है। माना जा रहा है कि ओसीसीआरपी के इन आरोपों के बाद आगामी दिनों में सियासी बवाल भी देखने को मिल सकता है। हालांकि, अभी तक इस पूरे प्रकरण पर किसी भी सियासी दल की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। बहरहाल, अब आगामी दिनों में इस पूरे मामले पर किसकी क्या प्रतिक्रिया रहती है? देखना रोचक रहेगा, लेकिन आइए उससे पहले जरा ये जान लेते हैं कि आखिर पूरा माजरा क्या है?

दरअसल, ओसीसीआरपी ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि Vedanta पर्यावरण नियमों का पालन करने के प्रति अनियमितता बरत रहा था और सरकार ने मौन साध रखा था। ओसीसीआरपी ने अपनी रिपोर्ट में आगे कहा कि कोरोना काल के दौरान पर्यावरण से संसंधित नियमों को कमजोर करने के पीछे Vedanta का ही हाथ था, लेकिन यह समझ से परे है कि आखिर सरकार ने कोई कठोर कार्रवाई क्यों नहीं की? रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आम लोगों की सहमति के बगैर ही केंद्र सरकार ने खनन से जु़ड़े मामलों को सहमति दे दी। इसके अलावा इन बदलावों को अवैध तरीके से लागू किया गया, जिससे जनहित पर कुठाराघात हुए।

ओसीसीआरपी ने अपनी प्रकाशित रिपोर्ट में कहा कि वेदांता समूह के चेयरमैन ने पूर्व पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेड़कर को कहा था कि सरकार बिना पर्यावरणीय मंजूरी दिए उत्पादन को 50 फीसद तक बढ़ा दे। इससे भारत की आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी, जिसका सकारात्मक असर भारत के विकास पर पड़ेगा। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि वेदांता के ऑय़ल कंपनी इंडिया ने सरकारी नीलामी जीते गए ऑयल ब्लाकों में खोजपूर्ण ड्रिलींग को अवैध तरीके से मंजूरी दी थी, लेकिन सरकार ने इस उपक्रम के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया था। रिपोर्ट में आगे कहा कि राजस्थान में स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद भी 6 विवादित ऑयल प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दे दी गई थी। इतना ही नहीं, लोगों की निजता की परवाह किए बगैर हजारों भारतीयों के दस्तावेजों का विश्लेषण किया गया था।

बता दें कि वेदांता के पूर्व चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने पूर्व पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेडकर को पत्र लिखकर कहा था कि सरकार खनन कंपनियों को बिना पर्यावरण मंजूरी दिए उत्पादन की मात्रा को 50 फीसद तक बढ़ा सकती है। पत्र में कहा गया कि उत्पादन की मात्रा को बढ़ाकर कई नौकरियां सृजित की जा सकती हैं। पूर्व चेयरमैन के इस पत्र के बाद पर्यावरण मंत्रालय को फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री लॉबी समूह का पत्र मिला था। जिसके बाद पूर्व मंत्री ने यथाशीघ्र इस पर नीतिगत निर्णय लेने का अनुरोध किया था। हालांकि, इस अनुरोध पर विचार किया गया था कि नहीं। इस बारे में अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है। बता दें कि इस संदर्भ में जून में चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने पीएमओ को भी पत्र लिखा था।’

बहरहाल, ओसीसीआरपी की इस रिपोर्ट पर अनिल अग्रवाल की क्या प्रतिक्रिया सामने आती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। बता दें कि बीते दिनों ओसीसीआरपी ने अदानी ग्रुप पर आरोप लगाया था कि इन्होंने अपने शेयर खरीदकर उसे स्टॉक एक्सचेंज में निवेश किया था। वहीं, अदानी समूह ने सामने आकर इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था, लेकिन बीते गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मुंबई में विपक्षी दलों की बैठक के बीच इस मसले को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा था। बहरहाल, अब जिस तरह से ओसीसीआरपी ने वेदांता को निशाने पर लिया है, उससे तो ये सवाल जेहन में आना लाजिमी है कि आखिर ओसीसीआरपी क्यों भारत की आतंरिक गतिविधियों में हस्तक्षेप कर रहा है ?