newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

EMI On Loan Could Go Down: आपके लोन की ईएमआई फिर घटने की संभावना, 6 जून को बताएगा आरबीआई

EMI On Loan Could Go Down: फिलहाल रेपो रेट 6 फीसदी है। अप्रैल में एमपीसी की बैठक से पहले रेपो रेट 6.50 फीसदी थी। दरअसल, 2022 से लगातार महंगाई का आंकड़ा 5 फीसदी से ऊपर जा रहा था। ऐसे में उस वक्त आरबीआई ने लगातार रेपो रेट में बढ़ोतरी जारी रखी थी। आरबीआई के इस कदम से महंगाई का स्तर 5 फीसदी से नीचे आ गया। रेपो रेट ब्याज की वो दर है, जिस पर आरबीआई अन्य बैंकों को कर्ज देता है। रेपो रेट बढ़ने से बैंकों के पास तरलता कम हो जाती है।

मुंबई। अगर आपने कार या हाउस लोन ले रखा है, तो 6 जून को आपको इसके ईएमआई के कम होने की खुशखबरी मिल सकती है। आज से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई की मौद्रिक समिति यानी एमपीसी की बैठक हो रही है। 6 जून को आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा बताएंगे कि एमपीसी की बैठक में ब्याज दरों पर क्या फैसला किया गया। अभी महंगाई कंट्रोल में है। इस वजह से आरबीआई रेपो रेट में और कटौती कर सकता है। रेपो रेट अगर कम हुआ, तो आपके लोन की ईएमआई भी निश्चित तौर पर कम होगी। इससे पहले पिछली एमपीसी बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वॉइंट की कमी की थी।

एमपीसी की बैठक शुरू होने से पहले स्टेट बैंक यानी एसबीआई की एक रिपोर्ट आई है। एसबीआई ने इसमें उम्मीद जताई है कि आरबीआई की एमपीसी बैठक में रेपो रेट को 50 बेसिस प्वॉइंट तक घटाया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ, तो आपके बड़ी राहत के तौर पर लोन की ईएमआई अच्छी-खासी कम हो जाएगी। हालांकि, रेपो रेट में इतनी बड़ी कटौती करने के बारे में आरबीआई को काफी विचार करना होगा। क्योंकि रेपो रेट में गिरावट से लोगों के हाथ में काफी पैसा पहुंचता है और इससे महंगाई में उछाल आने की आशंका बनी रहती है। उम्मीद यही है कि आरबीआई की एमपीसी रेपो रेट में 25 बेसिस प्वॉइंट की कटौती कर सकती है।

indian currency notes 1

फिलहाल रेपो रेट 6 फीसदी है। अप्रैल में एमपीसी की बैठक से पहले रेपो रेट 6.50 फीसदी थी। दरअसल, 2022 से लगातार महंगाई का आंकड़ा 5 फीसदी से ऊपर जा रहा था। ऐसे में उस वक्त आरबीआई ने लगातार रेपो रेट में बढ़ोतरी जारी रखी थी। आरबीआई के इस कदम से महंगाई का स्तर 5 फीसदी से नीचे आ गया। रेपो रेट ब्याज की वो दर है, जिस पर आरबीआई अन्य बैंकों को कर्ज देता है। रेपो रेट बढ़ने से बैंकों के पास तरलता कम हो जाती है। जिससे आम आदमी के हाथ में भी कम पैसा आता है। इससे महंगाई कम होने लगती है। हालांकि, रेपो रेट घटने से एफडी या अन्य जमा योजनाओं में पैसा लगाने वालों को झटका लगता है। क्योंकि इन योजनाओं की ब्याज दर भी घट जाती है।