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बैंकों ने एमएसएमई के लिए 1.10 लाख करोड़ रुपये मंजूर किए

पिछले कुछ हफ्तों में ऋण प्रदान किए जाने की दर में काफी उछाल आया है और सिर्फ पिछले छह दिनों में एक जुलाई तक मंजूरी 10,000 करोड़ रुपये तक बढ़ गई, जबकि संवितरण बढ़कर 7,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करने में लगी है कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र की तरलता संबंधी चिंताओं से उसकी आपातकालीन ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के जरिए प्राथमिकता से निपटा जाए। एक जुलाई, 2020 तक सार्वजनिक क्षेत्र और निजी बैंकों ने 100 प्रतिशत आपातकालीन ऋण सुविधा गारंटी योजना के तहत 1.10 लाख करोड़ रुपये से अधिक के ऋण स्वीकृत किए हैं, जिनमें से 52,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि पहले ही वितरित की जा चुकी है।

PM Narendra Modi

पिछले कुछ हफ्तों में ऋण प्रदान किए जाने की दर में काफी उछाल आया है और सिर्फ पिछले छह दिनों में एक जुलाई तक मंजूरी 10,000 करोड़ रुपये तक बढ़ गई, जबकि संवितरण बढ़कर 7,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के कार्यालय ने एक ट्वीट में कहा, एक जुलाई, 2020 तक सरकारी बैंकों और निजी बैंकों ने 100 प्रतिशत आपातकालीन ऋण सुविधा गारंटी योजना के तहत 1,10,343.77 करोड़ रुपये के कर्ज को मंजूरी दी है। इनमें से 52,255.53 करोड़ रुपये के कर्ज का वितरण पहले ही किया जा चुका है।

ईसीएलजीएस योजना वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मई में घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत मिशन पैकेज का सबसे बड़ा राजकोषीय घटक है। इस योजना के जरिए मौजूदा कठिन अवधि के दौरान एमएसएमई खंड को पर्याप्त नकदी प्रदान करने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए वित्त मंत्रालय ने बैंकों के साथ नियमित रूप से बैठकें की हैं।

वित्त मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के बैंकों ने ईसीएलजीएस की सफलता में योगदान दिया है। 52,000 करोड़ रुपये के संवितरण में से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने लगभग 12,59,000 एमएसएमई खातों में 33,000 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जबकि निजी बैंकों ने लगभग 1,45,000 खातों में 19,000 करोड़ रुपये का वितरण किया है।

यह योजना एमएसएमई और अन्य व्यवसायों की 30 लाख से अधिक इकाइयों की मदद करेगी और उनके व्यवसायों को राष्ट्रव्यापी बंद के बाद फिर से शुरू करने में मददगार साबित होगी। आत्मानिर्भर पैकेज के हिस्से के रूप में केंद्र सरकार ने एमएसएमई और छोटे व्यवसायों के लिए अतिरिक्त ऋण के रूप में तीन लाख करोड़ रुपये की अपनी योजनाओं की घोषणा की थी।