नई दिल्ली। चंडीगढ़, पंचकुला, लुधियाना, फरीदाबाद और राजधानी दिल्ली। ये वो जगहें हैं जहां प्रणव गुप्ता और विनीत गुप्ता का साम्राज्य है। इनके उपरोक्त शहरों में ठिकानों पर 31 दिसंबर 2021 को सीबीआई ने छापे मारे थे। छापों से पता चला कि इन्होंने बैंकों के एक समूह से फ्रॉड के जरिए 1626 करोड़ रुपए साफ कर दिए। अब इन गुप्ता बंधुओं की हकीकत भी जान लीजिए। इन दोनों की चंडीगढ़ में दवा बनाने वाली कंपनी है। कंपनी का नाम पैराबोलिक ड्रग्स लिमिटेड है। इसके अलावा इनकी एक और पहचान है। प्रणव और विनीत ने अशोका यूनिवर्सिटी की भी स्थापना की थी। ये यूनिवर्सिटी भी अलग कारणों से बीते साल सुर्खियों में रही थी। छापे मारने वाली सीबीआई को भी इनका ये कनेक्शन बाद में पता चला।
प्रणव और विनीत गुप्ता पर सीबीआई ने आपराधिक साजिश रचने, फ्रॉड, फर्जी दस्तावेज के जरिए लोन लेने और हड़प कर जाने का आरोप लगाया है। प्रणव गुप्ता दवा बनाने वाली कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर और विनीत इसमें डायरेक्टर है। दोनों ने 1996 में कंपनी बनाई थी और 1988 तक ठेके पर काम करते थे। बाद में कंपनी ने दवा में इस्तेमाल होने वाली एक्टिव फार्मास्युटिकल इनग्रेडिएंट यानी API बनाना शुरू किया और कंपनी नामचीन हो गई। इन दोनों के अलावा सीबीआई ने इस धोखाधड़ी में दीपाली गुप्ता, रामा गुप्ता, जगजीत सिंह चाहल, संजीव कुमार, वंदना सिंगला और इशरत गिल समेत कई अन्य को भी आरोपी बनाया है।
सरकार को दी गई जानकारी के मुताबिक प्रणव और विनीत दोनों ही अशोका यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं। दोनों ट्रस्टी होने के साथ यूनिवर्सिटी की गवर्निंग बॉडी में भी हैं। अशोका यूनिवर्सिटी तब चर्चा में आई थी, जब उसके दो फैकल्टी मेंबर्स ने इस्तीफा दिया था। इनमें से एक प्रताप भानु मेहता थे। जिन्होंने कहा था कि वो राजनीति का शिकार हो गए हैं। वहीं, दूसरे थे पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रहमण्यम। उन्होंने भी मेहता के इस्तीफे के बाद हालात की बात करते हुए इस्तीफा दे दिया था। गौर करने की बात है कि प्रताप भानु मेहता हमेशा मोदी सरकार की नीतियों का विरोध करते थे। सुब्रहमण्यम का कहना था कि ये यूनिवर्सिटी आजादी नहीं देती और न ही पढ़ाई का माहौल बनाती है। यूनिवर्सिटी के एक सूत्र के हवाले से इंडिया अहेड ने खबर दी है कि इस वजह से सीबीआई ने हो सकता है छापा मारा हो कि गुप्ता बंधुओं का अशोका यूनिवर्सिटी से सरोकार है।