मुंबई। रिजर्व बैंक ने एक बार फिर क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने की वकालत की है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी. रविशंकर ने क्रिप्टोकरेंसी को लोगों को लूटने वाली पोंजी स्कीम्स से भी खराब बताया है। रविशंकर ने ये भी साफ किया है कि क्रिप्टोकरेंसी से देश की वित्तीय संप्रभुता को खतरा है। उन्होंने कहा कि क्रिप्टो का लेन-देन सरकारी नियंत्रण से बचने के तरीके पर आधारित है। उसे खास तौर पर वित्तीय प्रणाली को दरकिनार करने के लिए विकसित किया गया है। सोमवार को 17वें सालाना बैंक प्रोद्योगिकी सम्मेलन में बोलते हुए रविशंकर ने कहा कि सभी पहलुओं को देखते हुए ये लगता है कि क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाना हमारे देश के लिए सबसे बेहतर है।
Deputy Governor, Reserve Bank of India on Crypto pic.twitter.com/fubxVqv7K4
— Crypto India ? (@CryptooIndia) February 14, 2022
उन्होंने ये भी कहा कि क्रिप्टोकरेंसी के तौर तरीके मुद्रा प्रणाली, मौद्रिक प्राधिकरण, बैंक प्रणाली और सरकारी अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने की क्षमता को नष्ट कर सकती है। बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी भी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर आशंका जता चुके हैं, लेकिन सरकार ने अब तक इन पर बैन नहीं लगाया है। सरकार का कहना है कि इस बारे में चर्चा चल रही है और तब तक क्रिप्टो के लेन-देन पर वो टैक्स लेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले फायदे या नुकसान पर बजट भाषण में 30 फीसदी टैक्स लगाने की घोषणा की थी। साथ ही हर लेन-देन पर 1 फीसदी टीडीएस लगाने का भी एलान उन्होंने किया था।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी हमेशा क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने के पक्ष में बयान दिया है। आरबीआई अपनी डिजिटल मनी लाने जा रहा है। इस साल अगस्त तक बैंक की डिजिटल मनी आ जाएगी। बजट भाषण में वित्त मंत्री ने इसकी भी घोषणा की थी। वित्त मंत्री ने ये भी साफ कह दिया था कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता नहीं दे रही है। वहीं, वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने भी साफ कह दिया था कि क्रिप्टो को कभी भी भारत में वैधता नहीं मिलेगी। इसे उन्होंने जुआ और घुड़दौड़ की श्रेणी में रखा था।