नई दिल्ली। टाटा समूह के चेयरमैन और मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का बुधवार, 9 अक्टूबर 2024 की रात मुंबई के कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। 86 साल के रतन टाटा को देश और दुनिया भर में उनके नेतृत्व और औद्योगिक योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा। खासकर ऑटोमोबाइल सेक्टर में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने न सिर्फ भारत की पहली मेड-इन-इंडिया कार लॉन्च की, बल्कि दुनिया की सबसे सस्ती कार, टाटा नैनो को भी पेश किया।
जब टाटा ने लाॅन्च की थी भारत की पहली इंडिजिनियस कार
टाटा मोटर्स ने 1998 में भारत की पहली इंडिजिनियस यानी स्वदेशी कार ‘टाटा इंडिका’ को लॉन्च किया। यह देश की पहली डीजल हैचबैक कार थी, जिसे पूरी तरह भारत में ही डिज़ाइन और मैन्युफैक्चर किया गया था। टाटा इंडिका ने भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में इतिहास रचा, और इसे भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग की दिशा बदलने वाली कार माना गया। लॉन्च के समय इस कार की शुरुआती कीमत मात्र 2.6 लाख रुपये थी, जिसने इसे भारतीय मध्यम वर्ग के लिए एक किफायती और आकर्षक विकल्प बनाया।
टाटा इंडिका की लॉन्चिंग के एक हफ्ते के भीतर ही कंपनी को 1.15 लाख से ज्यादा यूनिट्स के ऑर्डर मिले। यह कार बहुत जल्द अपने सेगमेंट की नंबर वन कार बन गई और इंडियन मार्केट में चर्चा का विषय बन गई। टाटा इंडिका ने अपनी प्रतिस्पर्धी कारों जैसे मारुति 800 और मारुति ज़ेन को कड़ी टक्कर दी, और खासतौर पर इसके डीजल वेरिएंट ने लोगों का ध्यान खींचा। उस समय डीजल ईंधन की कीमत कम होने के कारण इसकी मांग में तेजी आई, और इस कार का माइलेज भी करीब 20 किलोमीटर प्रति लीटर था, जो इसे एक बेहतरीन विकल्प बनाता था।
रतन टाटा के विजन से मिली थी इंडिका को सफलता
टाटा इंडिका की डिजाइन और निर्माण को लेकर कई तरह की अटकलें भी लगाई जा रही थीं, लेकिन रतन टाटा का दृढ़ विश्वास इस कार की सफलता का प्रमुख कारण बना। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि टाटा इंडिका से लोगों को डीजल कार जैसा माइलेज और हिंदुस्तान एंबेसडर जैसी विशाल इंटीरियर की उम्मीद थी। इंडिका इन अपेक्षाओं पर पूरी तरह खरी उतरी, और इसके लॉन्च के बाद यह हर पैमाने पर एक सफल कार साबित हुई।