
नई दिल्ली। देश में कोरोना कुल 43 लाख के आसपास मरीज पाए गए हैं। ऐसे में कोरोना की वैक्सीन को लेकर उम्मीद लगाई जा रही है कि साल के अंत तक लोगों तक वैक्सीन पहुंच जाएगी। फिलहाल इस वायरस से निजात पाने के लिए भारत में स्वदेशी कोरोना वैक्सीन के दूसरे चरण का क्लीनिक ट्रायल शुरू हो चुका है। बता दें कि हैदराबाद(Hyderabad) की वैक्सीन(Vaccine) निर्माता कंपनी भारत बॉयोटेक (Bharat Biotech) की कोवैक्सीन (Covaxin) का दूसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो गया है।
इस बीच कोरोना वायरस (Coronavirus) के खिलाफ जंग में दूसरी खुशखबरी भी हैदराबाद से मिल सकती है। विन्स बायोप्रोडक्ट ने सेंटर ऑफ सेलुलर एंड मोलिक्यूलर बायोलॉजी और हैदराबाद विश्वविद्यालय के साथ मिलकर तीन महीने पहले घोड़ों में एंटीबॉडी विकसित करने का काम शुरू किया था, उसमें अब आश्चर्यजनक नतीजे सामने आए हैं।
घोड़ों में कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई है। कोरोना से ठीक हुए मरीज के प्लाज्मा के मुकाबले घोड़ों का प्लाज्मा कई गुना ज्यादा कारगर पाया गया है। यह खबर एक तरह से आशा की किरण की तरह ही है, क्योंकि जिस तरीके से कोरोना लोगों को अपना शिकार बना रहा है, उसमें कोरोना की वैक्सीन ही अब एक सहारा दिखाई देती है। बता दें कि इस दवा के क्लीनिकल ट्रायल के लिए विन्स बायोप्रोडक्ट कंपनी एक हफ्ते में डीसीजीआई में आवेदन करने वाली है। विन्स बायोप्रोडक्ट्स के निदेशक सिद्धार्थ डागा ने बताया कि ‘घोड़ों से निकाले गए प्लाज्मा में मौजूद एंटीबॉडीज की क्षमता इंसान के प्लाज्मा में मौजूद एंटीबॉडीज के मुकाबले 50 गुना ज्यादा है।
कोरोना वायरस के खिलाफ घोड़ों से ज्यादा मात्रा में प्लाज्मा निकाला जा सकता है। उस प्लाज्मा में मौजूद एंटीबॉडीज की क्षमता इतनी ज्यादा है कि बहुत कम मात्रा के डोज से ही कोरोना वायरस लैब में नष्ट हो गए।’ दरअसल कोरोना पॉजिटिव मरीजों के इलाज के लिए इन दिनों प्लाज्मा थैरेपी का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन इसकी अपनी सीमाएं हैं और बड़ी मात्रा में प्लाज्मा उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। वहीं प्रयोग में पाया गया है कि घोड़ों में जीवित निष्क्रिय कोरोना वायरस इंजेक्ट करने के 65 दिन बाद घोड़ों में एंटीबॉडी पैदा हो गई।
बड़ी संख्या में घोड़ों में जीवित निष्क्रिय कोरोना वायरस इंजेक्ट करने पर बड़ी मात्रा में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी प्राप्त किए जा सकते हैं। सिद्धार्थ डागा बताते हैं कि घोड़ों का प्लाज्मा निकालने के बाद उसको क्रोमेटोग्राफी विधि के जरिए शुद्ध किया जाता है और उसे इंसान को देने लायक बनाया जाता है। कोरोना वायरस के खिलाफ प्रस्तावित दवा में संघनित एंटीबॉडीज मौजूद होंगे और बहुत तेजी से और कारगर तरीके से कोरोना वायरस का नाश कर देंगे।
सीसीएमबी की प्रयोगशाला में सेल लाइन को पहले कोरोना वायरस से संक्रमित किया गया और फिर उसमें घोड़ों से निकाला गया सीरम डाला गया। प्रयोगशाला में आए नतीजे हैरान करने वाले थे। संक्रमित हुई सेल लाइन में मौजूद कोरोना वायरस 95 फीसदी खत्म हो गया। अब इन नतीजों के क्लीनिकल ट्रायल की बात की जा रही है। विन्स बायोप्रोडक्ट्स के निदेशक सिद्धार्थ डागा ने बताया कि अगले हफ्ते तक क्लीनिकल ट्रायल के लिए डीसीजीआई में आवेदन कर दिया जाएगा।
खास बात यह है कि वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल जहां काफी मुश्किल होता है, वहीं दवा के क्लीनिकल ट्रायल में उतनी ज्यादा परेशानी नहीं आती। इसलिए माना जा रहा है कि डीसीजीआई की इजाजत मिलने के बाद दवा का क्लीनिकल ट्रायल तेजी से पूरा किया जा सकता है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस के खिलाफ रेमिडिसिविर और फेरिपिराविर दवा बाजार में मौजूद हैं। लेकिन घोड़ों के प्लाज्मा से तैयार हुई दवा पूरी तरह से देश में विकसित पहली कारगर दवा होगी।