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आकाश की उंचाईयों को नापने का हौसला है ‘आवाज़ की दुनिया’, सामाजिक कुरीतियों पर यहां युवाओं ने किया कड़ा प्रहार

युवाओं की प्रतिभा के सम्यक विकास हेतु 10 जनवरी 2021 को ‘आवाज़ की दुनिया’ (Awaaz Ki Duniya) कार्यक्रम के समापन पर एक नृत्य नाटिका प्रस्तुत की गई, जिसमें पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं का बड़ा मार्मिक वर्णन किया गया।

नई दिल्ली। ‘कमला ज्ञानोत्थान समिति’ के तत्वाधान में आयोजित ‘आवाज़ की दुनिया’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमें युवा आवाजों को सुना जाता है। इसी मंच पर युवाओं द्वारा सामाजिक समस्याओं पर मंथन भी होता है। ताकि इन समस्याओं के लिए पर्याप्त समाधान की तलाश की जा सके।

इसमें प्रत्येक शनिवार व रविवार की शाम ज़ूम के आभासी मंच पर आयोजित कार्यक्रम में देश के विभिन्न भागों से आए 10 युवाओं ने लगातार 10 एपिसोड में भाग लेकर देश की गहन समस्याओं पर चर्चा की। कार्यक्रम के समापन पर प्रत्येक छात्राओं को उनकी प्रतिभा के अनुसार प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। प्रतियोगिता के इस दौड़ में ‘आवाज़ की दुनिया’ एक ऐसा कार्यक्रम बनकर निखरा जिसमें युवा बेबाक तथा बेखौफ होकर अपनी बात सभी के समक्ष रखते थे और उस पर सम्यक रूप से चर्चा करते थे।

इस कार्यक्रम की संचालिका श्रीमती श्रद्धा पांडे का कहना है कि ऐसे कार्यक्रमों के द्वारा युवाओं में छिपी प्रतिभा को वह दिखाना चाहती हैं, उन्हें बोलने का अवसर देना चाहती हैं ताकि युवाओं के मन की आवाज जन-जन की आवाज बन जाए। श्रद्धा पांडे मानती हैं कि देश के युवा बहुत प्रतिभाशाली हैं लेकिन कई बार उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर नहीं मिल पाता है। ऐसे में हमारी तरफ से आवाज की दुनिया के जरिए यह कोशिश शुरू की गई है कि हम प्रतिभाशाली युवाओं की एक आवाज बनें। श्रद्धा पांडे खुद एक शिक्षिका हैं और उन्हें बच्चों की प्रतिभा को परखना उसे सजाना, संवारना और निखारना अच्छी तरह आता है। वह एक गुरु के साथ ही सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार के तौर पर भी जानी जाती हैं। लेकिन इस सब के बीच वह युवा प्रतिभाओं के साथ केवल एक गुरु, एक सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार ही नहीं बल्कि एक अभिभावक के तौर पर जुड़कर उनके साथ संवाद स्थापित करती रहती हैं।


श्रद्धा पांडे के नाम कई उपलब्धियां पहले से जुड़ी हुई हैं। वह एक बेहतरीन कहानी कार, कथा वाचिका हैं। उनकी प्रकाशित पुस्तकें सतरंगी दुनिया के अठरंगी सपने, समय की रेत पर, झिलमिल तारे आँखों में सारे, हाथी मेरे साथी, वाद-विवाद एवं संभाषण, कही अनकही, बाइस्कोप हैं। इसके साथ ही उनके नाम कई पुरस्कार और सम्मान भी हैं। इनमें गोमती -गौरव सम्मान, शब्द शिल्पी सम्मान, वामा सम्मान, अखिल भारतीय अणुव्रत व्यास सम्मान, शिक्षक साहित्यकार सम्मान, हिंदी विकास मंच द्वारा शिक्षक प्रतिभा, सम्मान रीति रेखा सम्मान प्रमुख हैं।

पूरा कार्यक्रम यहां देखें…

युवाओं की प्रतिभा के सम्यक विकास हेतु 10 जनवरी 2021 को ‘आवाज़ की दुनिया’ कार्यक्रम के समापन पर एक नृत्य नाटिका प्रस्तुत की गई, जिसमें पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं का बड़ा मार्मिक वर्णन किया गया। इस अवसर पर विशेष अतिथि पर्यावरण शास्त्री आदित्य पुंडीर थे। उन्होंने सभी युवाओं को प्रमाण पत्र दिया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि यह बड़ा सुंदर कार्यक्रम है क्योंकि इस कार्यक्रम में वार्तालाप को विशेष स्थान दिया गया। वार्तालाप की महत्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारी प्राचीन शिक्षा पद्धति भी वार्तालाप पर ही आधारित थी। अपने समय को याद करते हुए उन्होंने कहा, हमारे समय में सिर्फ वाद विवाद प्रतियोगिता हुआ करता था लेकिन आवाज की दुनिया जैसे कार्यक्रम एक ऐसा मंच है जहां बच्चे खुलकर ऐसे विषयों पर बोल सकते हैं जिन विषयों पर हम आज भी चर्चा करते हुए कतराते हैं। अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने 40 से अधिक देशों में भ्रमण किया है और पाया है कि जहां बच्चे डिस्कशन करने के लिए आजाद होते हैं, वहीं इनोवेशन होता है और आज के समय की यह सबसे बड़ी मांग है। बच्चों को बोलने का अवसर दिया जाए, उन्हें दूसरों की बात सुनने के लिए तैयार किया जाए क्योंकि इससे बच्चों में धैर्य आता है। वे वाद-विवाद करते हैं और इससे इनोवेशन होता है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे कार्यक्रम को समाप्त करने की जगह और अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है।

इस मौके पर एलकॉन ग्रुप ऑफ स्कूल्स के निदेशक डॉक्टर अशोक पांडे ने ‘आवाज़ की दुनिया’ में भाग लेने वाले सभी बच्चों के माता-पिता के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि कमला ज्ञानोत्थान समिति द्वारा संपन्न यह कार्यक्रम मेरी पूज्य स्वर्गीय माता जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। इस कार्यक्रम में मुझे भी बच्चों से बहुत कुछ सीखने को मिला। यह सौभाग्य की बात है कि हिंदी के कार्यक्रम को इतना प्रोत्साहन मिला और आज इसका समापन विश्व हिंदी दिवस पर हो रहा है।

आवाज की दुनिया मंच के छात्र दीपांशु के आभार ज्ञापन द्वारा कार्यक्रम का समापन किया गया। इस कार्यक्रम का अगला चरण फरवरी माह से शुरू होगा।