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कांग्रेस को लेकर पीएम मोदी ने जो कहा उसमें गलत तो कुछ नजर नहीं आता !

भारतीय धर्म-संस्कृति से प्रेरणा लेकर ही राष्ट्र एवं राजनीति चलती है। लेकिन कुछ लोग हैं,जो इसे भुलाकर आम जनता को गुमराह करके राजनीति की रोटियां सेंकते हैं। कांग्रेस वही कर रही है।

भारतीय धर्म-संस्कृति से प्रेरणा लेकर ही राष्ट्र एवं राजनीति चलती है। लेकिन कुछ लोग हैं,जो इसे भुलाकर आम जनता को गुमराह करके राजनीति की रोटियां सेंकते हैं। कांग्रेस वही कर रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजस्थान में चुनावी सभा में दिए गए भाषण को आधार पर बनाकर कांग्रेस भाजपा पर पलटवार कर रही है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान में कांग्रेस को घेरते हुए कहा है कि कांग्रेस की योजना लोगों की गाढ़ी कमाई और कीमती सामान घुसपैठियों और जिनके अधिक बच्चे हैं, उन्हें देने की है। इस बयान पर कांग्रेस भाजपा को घेरना चाह रही है। यदि कांग्रेस की मंशा पर सवाल उठाए गए हैं तो इसमें गलत क्या है। कांग्रेस इरादे तो कुछ ऐसे ही नजर आ रहे हैं।
इसका सबूत राहुल गांधी का हाल ही में दिया गया भाषण है, पिछले दिनों तेलंगाना में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने ‘जितनी आबादी उतना हक’ नारे का जिक्र करते हुए कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो यह पता लगाने के लिए एक वित्तीय और संस्थागत सर्वेक्षण कराएगी कि देश की अधिकतर संपत्ति पर किसका नियंत्रण है। राहुल गांधी ने यह भी कहा था कि राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना के अलावा वेल्थ सर्वे (संपत्ति के बंटवारे का सर्वेक्षण) कराया जाएगा। जाहिर है कांग्रेस का इरादा क्या है। वेल्थ डिस्ट्रीब्यूशन से बराबरी पर लाने की बात करना कांग्रेस की मंशा को साफ जाहिर करता है। यदि इस आधार पर संपत्ति का वितरण किया गया तो उसके कितना बड़ा नुकसान होगा इसका अंदाजा संभवत: कांग्रेस को नहीं है।

यदि ऐसा हुआ तो देश ने जो तरक्की की है उससे वह बहुत पीछे चला जाएगा। एक बार फिर से देश गरीबी के दलदल में फंस जाएगा। 1991 के बाद से देश में उद्योगपतियों की संख्या लगातार बढ़ी है। मोदी सरकार आने के बाद कई बड़े—बड़े स्टार्टअप खड़े हुए हैं। इनमें लाखों लोग काम करते हैं। उन सभी के लिए रोजगार खत्म हो जाएंगे।

ऐसे में यदि पीएम मोदी ने कांग्रेस की मंशा पर सवाल उठाया तो इसमें गलत क्या है ? कांग्रेस हमेशा से मुस्लिम तुष्टीकरण की बात करती आई है। ऐसा करके कांग्रेस क्या मुस्लिमों को देश की संपत्ति बांटना चाहती है ? कांग्रेस के मुस्लिम प्रेम को देखकर तो यही लगता है कि कांग्रेस की यही मंशा है। अपने मुस्लिम वोट बैंक को बड़ा करने के लिए 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा देश में मुसलमानों की सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति को समझने के लिए जस्टिस राजिंदर सच्चर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था। 30 नवंबर 2006 को सच्चर कमेटी द्वारा तैयार इस बहुचर्चित रिपोर्ट ”भारत के मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्‍थि‍ति‍” को लोकसभा में प्रस्तुत किया गया। इसी रिपोर्ट के आधार पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इसी वर्ष 2024 को राज्य का बजट पेश किया था। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए राजस्व घाटे का बजट पेश करने के बाद भी भी इस बजट में वक्फ संपत्तियों के लिए 100 करोड़ रुपए और भव्य हज हाउस के लिए 10 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया। बजट पेश करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी यह कहा था कि ‘मौलवियों’ और ‘मुत्तवल्लियों’ के वर्कशॉप कर्नाटक वक्फ बोर्ड के साथ पंजीकृत किए जाएंगे। अल्पसंख्यक विकास निगम के माध्यम से 393 करोड़ रुपए की लागत से कार्यक्रम चलाए जाएंगे। जाहिर है यहां भी कांग्रेस की मंशा मुस्लिम तुष्टीकरण की है। वित्तीय और संस्थागत सर्वेक्षण करवा कर देश में संपत्तियों पर नियंत्रण पता करने सोच कांग्रेस के वामपंथी प्रेम को भी जाहिर करती है।

कांग्रेस के कार्यकाल में ही रंगनाथ कमीशन का गठन हुआ था। इस कमीशन में मुसलमानों को नौकरियों में 15% आरक्षण देने की सिफारिश की गई थी। ओबीसी के 27% से 6% काटकर मुसलमानों को देने की सिफारिश भी कांग्रेस द्वारा गठित इस आयोग की रिपोर्ट में की गई थी। ऐसा नहीं हुआ, यदि ऐसा हो जाता तो उसका नुकसान देश के वंचित तबके को ही होता।

कांग्रेस के मुस्लिम तुष्टीकरण की बानगी उनके ही नेता की लिखी हुई एक किताब में की गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और देश के पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने एक किताब लिखी है ‘द राजीव आइ न्यू एंड व्हाई ही वाज इंडियाज मोस्ट मिसअंडरस्टूड प्राइम मिनिस्टर’। इसमें उन्होंने लिखा है कि अगर राजीव गांधी जिंदा होते और नरसिम्हा राव की जगह प्रधानमंत्री होते तो बाबरी मस्जिद आज भी खड़ी होती। उनकी यह किताब 31 अक्टूबर 1984 से 2 दिसंबर 1989 तक के राजीव गांधी के कार्यकाल पर केंद्रित है।

कांग्रेस ने मुस्लिम तुष्टीकरण के चलते अपना वोट बैंक बचाने के लिए क्या किया था यह भी यहां बता देना जरूरी है। 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो मामले में उन्हें तलाक देने वाले शौहर मोहम्मद अहमद खान को हर महीने गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। पेशे से वकील अहमद खान ने अदालत में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का हवाला देते हुए कहा कि वो तलाकशुदा को ‘इद्दत से मुद्दत’ यानी करीब तीन महीने तक ही हालांकि, राजीव गांधी मुस्लिम तुष्टिकरण में कुछ इस तरह से डूबे कि उन्होंने संसद में कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही पलट दिया। इस्लामिक कट्टरपंथियों के लिए कांग्रेस के इसी तुष्टिकरण के चलते सुप्रीम कोर्ट में केस जीती हुई शाह बानो जीतकर भी हार गईं।

गलतियां महंगी पड़ती हैं और गलतियों की कीमत चुकानी पड़ती है। जो कांग्रेस की मंशा है, यदि कांग्रेस ऐसा करने में कामयाब हो गई तो उसकी कितनी बड़ी कीमत भारत के हर व्यक्ति को चुकानी पड़ेगी इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। इस बयान को हेट स्पीच बताने वाली कांग्रेस को इतिहास में जाकर अपने अतीत में झांककर देखना चाहिए।

डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।