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चुनाव का तीसरा चरण निपटा, भाजपा बढ़त की तरफ, हताश विपक्ष अनिश्चय की स्थिति में

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तीन चरणों का चुनाव खत्म होने के बाद भाजपा लगातार बढ़ोतरी की ओर है। अभी तक 283 यानि आधी से अधिक सीटों पर मतदान हो चुका है

तीसरे चरण के चुनाव के साथ आधी से ज्यादा सीटों पर चुनाव हो चुका है। भाजपा तीन चरणों का चुनाव होने के बाद पूरी तरह से आश्वस्त है कि उसे इस बार पहले से ज्यादा सीटें मिल रही हैं। चुनाव आयोग की साइट के अनुसार जारी हुए आंकड़े बताते हैं कि पहले चरण में 66.14 प्रतिशत मतदान हुआ। दूसरे चरण में 66.71 मतदान हुआ। तीसरे में लगभग 65 प्रतिशत। यहां बता दें कि पहले चरण और दूसरे चरण के मतदान के बाद जो शुरुआती आंकड़े आए थे, बाद में चुनाव आयोग ने विश्लेषण के बाद जो आंकड़े जारी किए उसमें मतदान में कई प्रतिशत का उछाल आया था। इस तरह अभी जो मतदान होने के आंकड़े आए हैं उसका विश्लेषण होने के बाद प्रतिशत में बढ़ोतरी का पता चलेगा।

चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि पहले तीन चरण के बाद जहां भाजपा बढ़त की ओर है वहीं इंडी गठबंधन हताशा और अनिश्चय की स्थिति में नजर आ रहा है। विपक्ष किसी मुद्दे पर अभी तक सत्तारूढ़ भाजपा को घेर नहीं पा रहा है। इसका फायदा भाजपा को मिलना तय माना जा रहा है। यदि उत्तर भारत से भाजपा को कुछ सीटों पर नुकसान होता भी है तो उसकी भरपाई भाजपा के लिए दक्षिण भारत के राज्यों से होनी तय मानी जा रही है।

पहले चरण में 102, दूसरे चरण में 88 अब तीसरे चरण में 93 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होने के साथ देश की 283 लोकसभा सीटों पर वोटिंग कराई जा चुकी है। अभी तक कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां पर वोटिंग शुरू ही नहीं हुई। बाकी के चरणों में जिन राज्यों में वोटिंग होनी हैं इनमें आंध्र प्रदेश (25 सीट), हरियाणा (10 सीट), हिमाचल प्रदेश (04 सीट), झारखंड (14 सीट, 4 चरण), ओडिशा (21 सीट, 4 चरण), तेलंगाना (17 सीट), पंजाब (13 सीट), चंडीगढ़ (01 सीट), लद्दाख (01 सीट) और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (07 सीट) हैं। चौथे, पांचवें, छठे और सातवें चरण के चुनाव क्रमश: 13 मई, 20 मई, 25 मई और एक जून को होंगे। मतगणना चार जून को होगी।

पहले चरण में हुई कम वोटिंग के बाद विपक्ष दावा कर रहा था कि लोग बदलाव चाहते हैं इसलिए वोटिंग कम हुआ है, दूसरे चरण के बाद भी इसी तरह के दावे किए गए, लेकिन राजनैतिक विश्लेषकों की मानें तो ऐसा कुछ नहीं है। दरअसल उत्तर भारत में इंडी गठबंधन फंस चुका है और दक्षिण में भाजपा इस बार बड़ा उलटफेर करती नजर आ रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार भाजपा के लिए दक्षिण बहुत फायदेमंद साबित होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण के पांच राज्यों की 129 सीटों पर पूरी ताकत लगा रहे हैं। दक्षिण की बात करें तो अभी भाजपा को जैसी सफलता मिलनी चाहिए थी वैसी नहीं मिली है।

कर्नाटक को छोड़ दिया जाए तो भाजपा के लिए अभी तब दक्षिण उस तरह से मुफीद साबित नहीं हुआ है, लेकिन इस बार समीकरण अलग हैं। 2019 में भाजपा को दक्षिण में 29 सीटें मिली थीं। इस बार प्रधानमंत्री पूरे दक्षिण में सक्रिय हैं। दक्षिणी राज्यों में कर्नाटक में 28, तेलंगाना में 27, आंध्र प्रदेश में 25, तमिलनाडु में 39, केरल में 20 सीटें हैं। भाजपा का दावा है कि कर्नाटक में 28 की 28 सीटें वह जीतेगी। तेलंगाना में 17 सीटों पर भाजपा उलट फेर सकती है। कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण को लेकर लगातार भाजपा कांग्रेस को घेर रही है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश में टीडीपी के साथ हुए गठबंधन से भाजपा को यहां पर बड़ा फायदा हो रहा है। भाजपा टीडीपी के साथ गठबंधन में 25 से 22 सीटें अपने खाते में जोड़ सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पीएफआई, परिवारवाद और गुटबाजी की बात बोलकर लगातार विपक्ष को घेर रहे हैं।

तमिलनाडु में भी भाजपा इस बार 39 में से पांच सीटें अपने खाते में कर सकती है। केरल में भाजपा जहां कभी सेंध नहीं लगा पाई वहां भी पूरी ताकत से चुनाव लड़ रही है। केरल के वरिष्ठ पत्रकार टी सतीशन बताते हैं ”त्रिशूर और तिरुवनंतपुरम सीट पर भाजपा के जीतने के पूरे चांस हैं। तीन अन्य सीट पतनमतिट्टा, अट्टिंगल और अलाप्पुझा पर भी भाजपा कड़ी टक्कर दे रही है। केरल में भाजपा आज तक एक भी लोकसभा सीट जीतने में कामयाब नहीं हो पाई है लेकिन इस बार यहां से भी भाजपा के खाते में सीटें जुड़ने की संभावना है।

वरिष्ठ पत्रकार उमेश चतुर्वेदी बताते हैं ” तमिलनाडू में भाजपा का पीएमके ( पाट्टाली मक्कल कच्ची) पार्टी से गठबंधन हैं। पीएमके अंबुमणि रामदास की पार्टी है। वह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री भी रहे हैं। तमिलनाडु की 39 सीटों में से धर्मपुरी, रामानाथपुरम, कन्याकुमारी और कोयंबटूर भाजपा के खाते में जाने की पूरी उम्मीद है। धर्मपुरी से पीएमके पार्टी उम्मीदवार सौम्या अंबुमणि हैं। वह अंबुमणि रामदास की बेटी हैं।” चतुर्वेदी बताते हैं ”यदि उत्तर भारत से भाजपा की कुछ सीटें कम भी होती हैं तो इसकी भरपाई दक्षिण से होनी ही होनी है। इसलिए तीन चरणों में दो या तीन प्रतिशत मतदान कम होने से भाजपा और एनडीए गठबंधन को कोई नुकसान होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है।

डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।