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Akhilesh Yadav Vs Subrat Pathak: सुब्रत पाठक के मुकाबले कन्नौज लोकसभा सीट पर क्या आसान रहेगी अखिलेश यादव की जीत?, यहां समझिए गणित

Akhilesh Yadav Vs Subrat Pathak: 1999 में मुलायम सिंह यादव ने कन्नौज लोकसभा सीट पर चुनाव जीता था। फिर 3 बार अखिलेश यादव ने कन्नौज सीट फतह की थी। 2014 में मोदी की लहर चली, लेकिन अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव ने कन्नौज की सीट बचा ली थी। 2019 में सुब्रत पाठक यहां से जीते थे।

कन्नौज। आखिकार अखिलेश यादव ने भी लोकसभा चुनाव के समर में कूदने का फैसला कर ही लिया। मुलायम सिंह यादव के पौत्र तेजप्रताप यादव को कन्नौज से लोकसभा चुनाव लड़ाने का फैसला करने के बाद उनको हटाकर अब अखिलेश यादव खुद कन्नौज लोकसभा सीट पर किस्मत आजमाने जा रहे हैं। उनका मुकाबला बीजेपी के सुब्रत पाठक से है। सुब्रत पाठक कन्नौज सीट से पिछली बार लोकसभा का चुनाव जीते थे।

Akhilesh And Dimple
अखिलेश के साथ डिंपल यादव

कन्नौज को वैसे मुलायम के परिवार के गढ़ के तौर पर ही पहचाना जाता है। 1999 में मुलायम सिंह यादव ने कन्नौज लोकसभा सीट पर चुनाव जीता था। फिर एक उपचुनाव और 2 लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने कन्नौज सीट फतह की थी। 2014 में मोदी की लहर चली, लेकिन अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने कन्नौज की सीट समाजवादी पार्टी के लिए बचा ली थी। फिर 2019 में मुलायम सिंह परिवार के इस गढ़ में बीजेपी ने ऐसी सेंध लगाई कि सुब्रत पाठक कन्नौज से सांसद चुन लिए गए। इस बार भी बीजेपी ने सुब्रत पाठक को कन्नौज का मैदान मारने का जिम्मा सौंपा है।

कन्नौज लोकसभा सीट को 2019 में बीजेपी के सुब्रत पाठक ने जीता था।

कन्नौज को अपने इत्र उद्योग के लिए देश-विदेश में पहचाना जाता है। साथ ही ये जिला सियासत के लिए भी चर्चित रहता है। कन्नौज लोकसभा सीट में 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें से 4 विधानसभा सीटों पर बीजेपी के विधायक चुने गए थे। आबादी की गणित को देखें, तो कन्नौज में 16 फीसदी यादव और करीब इतने ही फीसदी मुस्लिम हैं। 15 फीसदी ब्राह्मण, 10 फीसदी राजपूत भी कन्नौज की आबादी में शामिल हैं, लेकिन 39 फीसदी अन्य जातियों के हैं। इनमें दलितों की सबसे ज्यादा संख्या है। यानी अखिलेश यादव को अगर कन्नौज सीट हासिल करनी है, तो यादव और मुस्लिम वोटरों से ही काम नहीं चलने वाला। उनको और जातियों के वोट भी हासिल करने होंगे। सुब्रत पाठक चूंकि ब्राह्मण हैं, तो इस वर्ग का वोट वो खींचेंगे ही। ऐसे में 39 फीसदी जो अन्य जातियों और खासकर दलित वोट हैं, वे ही कन्नौज में जीत और हार तय करने वाले हैं।