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Adipurush Controversy: ‘रामायण, गुरु ग्रन्थ साहिब, गीता और…’, आदिपुरुष के विवादित संवादों पर भड़की कोर्ट, फिल्म मेकर्स को ऐसे दिखाया आईना

Adipurush Controversy: कोर्ट का आक्रोश यही नहीं थमा। कोर्ट ने आगे अपनी टिप्पणी में कहा कि सिर्फ रामायण  ही नहीं, बल्कि अन्य धर्म ग्रंथों को भी बख्श दीजिए साहब। बाकी जो लोग कर रहे हैं, वो तो कर ही रहे हैं, कम से कम आप लोग  तो थोड़ा मेहरबानी कीजिए, क्योंकि धर्म के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। किसी की आस्था के साथ खेल रहे हैं।

नई दिल्ली। किसी ने नहीं सोचा था…कभी नहीं सोचा था…सोचना तो दूर…कभी कल्पना भी नहीं की थी कि एक दिन ऐसा भी आएगा, जब हमारे तथाकथित महान फिल्म निर्माता हमारी आस्था के साथ किए गए खिलवाड़ को अपने अभिव्यक्ति  का अधिकार बताएंगे। उम्मीद है कि उपरोक्त कथन को पढ़ने के बाद आप समझ रहे होंगे कि हम किसकी बात करने जा रहे हैं। दरअसल, हम विवादित फिल्म आदिपुरुष की बात कर रहे हैं। आदिपुरुष को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। फिल्म में  बोले गए संवादों को लेकर आपत्ति जताई गई। फिल्म निर्माताओं के खिलाफ मामला कोर्ट में पहुंचा। जहां आज सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस ने फिल्म के निर्माताओं को जमकर फटकार लगाई। आइए, आगे आपको बताते हैं कि कोर्ट ने क्या कुछ कहा है?

 

लखनऊ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस श्रीप्रकाश सिंह ने सेंसर बोर्ड और फिल्म के निर्माताओं को जमकर फटकार लगाई। सेंसर बोर्ड की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अश्विनी सिंह से पूछा गया था कि आखिर बोर्ड क्या करता है। आखिर कैसे ऐसे अशोभनीय संवादों को फिल्म में दिखाए जाने की मंजूरी दे दी जाती है और पूरा सिस्टम खामोश रहता है। यह अपने आप में विचारणीय प्रश्न है, जिस पर विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि सेंसर बोर्ड को अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए।

कोर्ट का आक्रोश यही नहीं थमा। कोर्ट ने आगे अपनी टिप्पणी में कहा कि सिर्फ रामायण ही नहीं, बल्कि अन्य धर्म ग्रंथों को भी बख्श दीजिए साहब। बाकी जो लोग कर रहे हैं, वो तो कर ही रहे हैं, कम से कम आप लोग तो थोड़ी मेहरबानी कीजिए, क्यों धर्म के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। क्यों किसी की आस्था के साथ खेल रहे हैं। आप लोग क्यों नहीं इस बात को समझते हैं कि आखिर सिनेमा किसी भी समाज का दर्पण होता है। सिनेमा हमारी आगामी पीढ़ियों की मनोदशा तय करती है। अगर आप लोग ऐसे चलचित्र  हमारे समाज में प्रस्तुत करेंगे, तो हमारी आने वाली पीढ़ियों पर कैसा असर पड़ेगा? आपको यह समझना होगा। बहरहाल, मसला अभी कोर्ट में विचाराधीन है। अब ऐसे में आगामी दिनों में कोर्ट का क्या रुख रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। आपको बता दें कि फिल्म  में कई ऐसे संवाद व दृश्य थे, जिन पर आपत्ति जताई गई थीं। मसलन, हनुमान जी द्वारा बोले गए संवाद जलेगी तेरे बाप की और रावण द्वारा चमगादड़ का मांस खिलाने सहित किरदारों द्वारा पहने गए पोशाक पर भी आपत्ति जताई गई थी। दर्शकों ने इसे बदलने की मांग की थी। नहीं बदलने पर फिल्म का बहिष्कार किए जाने की बात कही थी। यही नहीं, फिल्म में मां सीता को भारत की बेटी बताया गया था, जिस पर आपत्ति जताई गई।

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दरअसल, मां सीता का जन्म नेपाल के जनकपुर में हुआ था। वहीं, इस ऐतिहासिक तथ्य के साथ फिल्म निर्माताओं के द्वारा किए छेड़छाड़ को लेकर नेपाल में भी लोगों ने आक्रोश जताया था। उधर, संवाद लेखक मनोज मुंतशिर ने भी अपने द्वारा लिखे गए संवाद की वाहियात बदलाव की वकालत की थी। उन्होंने यह राग अपाला  की आज की पीढ़ी को फिल्म से कनेक्ट कराने के लिए इस तरह की सरल भाषा का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन जिस तरह सरलता की आड़ में फूहड़ दृश्य व संवाद फिल्म में दिखाए गए, उस पर लोगों का  आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है।