नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक उथल-पुथल जारी है क्योंकि सरकार को गिरने से बचाने के तरीकों पर शिमला से दिल्ली तक चल रही चर्चाओं के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने खुद को एक योद्धा के रूप में चित्रित करते हुए पांच साल का कार्यकाल पूरा करने का दावा किया है। विक्रमादित्य सिंह द्वारा अपना इस्तीफा वापस लेने की खबरें सामने आईं, जिससे ऐसा लग रहा कि सुक्खू के संकट का हाल फिलहाल का समाधान हो गया है। विक्रमादित्य के इस्तीफे के बारे में कहा गया कि उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। पैंतरेबाज़ी चल रही है, सभी विकल्पों पर विचार चल रहा है। इन सबके बीच नाश्ते पर बातचीत के दौरान सीएम हाउस का गणित और उलझ गया।
क्रॉस वोटिंग में भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन का समर्थन करने के लिए कांग्रेस से अलग हुए छह विधायक पहले से ही हरियाणा के पंचकुला में डेरा डाले हुए थे। इन दलबदलुओं पर कार्रवाई करते हुए स्पीकर ने इन सभी को विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया। राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग को लेकर 48 घंटे के भीतर छह विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की गई, जिससे सदन की ताकत 62 रह गई। इस घटनाक्रम के साथ बहुमत का आंकड़ा 32 पर पहुंच गया।
इससे पहले, सात दलबदलुओं को घटाने के बाद भी, कांग्रेस के पास अभी भी 33 विधायक थे, जिससे बहुमत हासिल होता दिख रहा था। हालांकि, तीन विधायकों के सीएम हाउस का नाश्ता न करने से गणित बिगड़ गया। वर्तमान स्थिति में सुक्खू की सरकार के पास 30 विधायक हैं, जो बहुमत के आंकड़े से दो कम हैं, जिससे सत्ता बरकरार रखने के लिए रणनीतियों के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता है।