
नई दिल्ली। भारत की ओर से ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके पर हमले के बाद से ही सोशल मीडिया पर पाकिस्तान और चीन के तमाम हैंडल ये दावा कर रहे हैं कि पाकिस्तान ने भारत के कई राफेल लड़ाकू विमानों को मार गिराया है। पाकिस्तान और चीन के कुछ सोशल मीडिया हैंडल का तो ये दावा है कि भारतीय वायुसेना के 6 राफेल नष्ट हुए हैं। अब फ्रांस के सूत्रों के हवाले से अखबार इकोनॉमिक टाइम्स ने बताया है कि राफेल विमानों की प्रतिष्ठा को खराब करने के लिए सुनियोजित तरीके से पाकिस्तान और चीन की ओर से फर्जी प्रचार अभियान चलाया जा रहा है।
भारतीय वायुसेना पहले ही कह चुकी है कि ऑपरेशन सिंदूर में हिस्सा लेने वाला उसका हर पायलट सुरक्षित है। अब फ्रांसीसी सूत्रों ने कहा है कि चीन और पाकिस्तान की तरफ से राफेल विमान गिराए जाने की फर्जी खबरें टिकटॉक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की तरफ से फैलाई जा रही हैं। ताकि इस भ्रम को फैलाकर इंडोनेशिया को फ्रांस से राफेल विमान खरीदने से रोका जा सके। फ्रांस और इंडोनेशिया ने हाल ही में अतिरिक्त राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के सौदे पर दस्तखत किए हैं। जबकि, पाकिस्तान और चीन के सोशल मीडिया अकाउंट ये भ्रम फैला रहे हैं कि इंडोनेशिया राफेल खरीदने पर विचार कर रहा है। इकोनॉमिक टाइम्स को भारत सरकार के एक सूत्र ने बताया कि ऐसे दावे झूठे हैं कि पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य अभियान में भारतीय वायुसेना के 3 राफेल विमान नष्ट हुए।
राफेल विमानों ने 6/7 मई की दरम्यानी रात सफलता से पाकिस्तान स्थित 9 आतंकी अड्डों को मिट्टी में मिलाया। वहीं, सूत्रों के मुताबिक 9 और 10 मई की रात पाकिस्तान के एयरबेस पर हुए हमले में भी राफेल का जमकर इस्तेमाल किया गया। पहले दिन हमले में कुछ सामरिक भूल जरूर हुई और भारत के सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने इसकी बात सिंगापुर में कही भी है। खास बात ये है कि राफेल के संबंध में चीन की तरफ से फैलाई गई झूठी जानकारी यूरोप तक भी पहुंच गई। अखबार के मुताबिक 7 मई को चीन की एक ब्लॉगिंग साइट पर दावा किया गया कि फ्रांस ने भारत से कहा है कि वो पाकिस्तान के खिलाफ राफेल लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल रोक दे। जबकि, ये दावा भी पूरी तरह फर्जी है। इससे पहले सोशल मीडिया पर ये खबरें वायरल हुईं कि फ्रांस ने भारत को राफेल विमानों का सोर्स कोड देने से इनकार कर दिया। जबकि, हकीकत ये है कि भारत ने कभी फ्रांस से सोर्स कोड मांगा ही नहीं।