बेंगलुरु। चांद पर चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर सफलता से उतारने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने फिर करिश्मा कर दिखाया है। सूरज की तरफ इसरो ने जो ‘आदित्य एल-1’ यान भेजा था, वो 9.2 लाख किलोमीटर की यात्रा कर धरती के गुरुत्वाकर्षण बल के दायरे से निकल गया है। ये दूसरा मौका है, जब इसरो के किसी यान ने धरती के गुरुत्वाकर्षण बल के दायरे को पार किया है। इससे पहले इसरो के मंगल पर भेजे गए यान ने धरती के गुरुत्वाकर्षण को पार किया था। अब आदित्य एल-1 सूरज की तरफ बढ़ रहा है। इसे करीब 6 लाख किलोमीटर की यात्रा और करनी है। यानी धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर की यात्रा के बाद ये अपने तय लक्ष्य यानी लैंग्रेंजियन प्वॉइंट एल-1 पर पहुंचेगा। इसमें अभी 110 दिन और लगेंगे।
Aditya-L1 Mission:
🔸The spacecraft has travelled beyond a distance of 9.2 lakh kilometres from Earth, successfully escaping the sphere of Earth’s influence. It is now navigating its path towards the Sun-Earth Lagrange Point 1 (L1).
🔸This is the second time in succession that…
— ISRO (@isro) September 30, 2023
धरती और सूरज के बीच 5 लैंग्रेंजियन प्वॉइंट हैं। इनमें से पहले प्वॉइंट पर आदित्य एल-1 यान को इसरो स्थापित करेगा। लैंग्रेंजियन प्वॉइंट वो जगह हैं, जहां धरती और सूरज के गुरुत्वाकर्षण बल मिलते हैं। इस तरह आदित्य एल-1 यान वहां दोनों के गुरुत्वाकर्षण के बीच एक जगह स्थिर रहेगा और सूरज का अध्ययन करता रहेगा। फरवरी के महीने से आदित्य एल-1 के काम करने का अनुमान है। लैंग्रेंजियन प्वॉइंट एल-1 पर पहुंचने के बाद इसरो के वैज्ञानिक इसके सभी यंत्रों को ऑन करेंगे। जिसके बाद अगले 5 साल सूरज की हर हलचल को आदित्य एल-1 यान कैद करता रहेगा।
आदित्य एल-1 यान में कई यंत्र लगे हुए हैं। इनमें से वीईएलसी नाम का कैमरा सूरज की तस्वीरें लेगा। ये सारी तस्वीरें एचडी क्वालिटी की होंगी। आदित्य एल-1 में पापा नाम का यंत्र लगा है। ये सूरज के प्लाज्मा यानी सतह में मौजूद इलेक्ट्रॉन्स और भारी आयन के बारे में शोध करेगा। पापा नाम का यंत्र आयन के वजन भी पता करेगा। इसके अलावा आदित्य एल-1 यान में एसयूआईटी नाम का अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलिस्कोप भी है। ये यंत्र सूरज की अल्ट्रावायलेट तस्वीरें लेगा। इससे सूरज के फोटोस्फियर और क्रोमोस्फियर के बारे में जानकारी मिलेगी।