नई दिल्ली। नीतीश कुमार ने बिहार के सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। वो 1994 से लगातार पाला बदलते रहे। पहले लालू यादव के साथ जनता दल में थे। फिर जॉर्ज फर्नांडिस के साथ मिलकर नीतीश कुमार ने समता पार्टी बनाई थी। फिर समता से अलग हुए और जनता दल यूनाइटेड यानी जेडीयू बनाई। फिर लालू के साथ आए। लालू का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ गए और लगातार ऐसा ही क्रम चलता रहा। अपने पूरे राजनीतिक करियर में नीतीश कुमार लगातार लालू और बीजेपी के साथ गठजोड़ करते-करते 8 बार बिहार के सीएम रह चुके हैं। पिछली बार 2022 में नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ गठजोड़ छोड़ा था और फिर लालू यादव के साथ गए थे। नीतीश कुमार ने उस वक्त आरोप लगाया था कि बीजेपी ने उनकी जेडीयू के विधायकों को तोड़ने की कोशिश की।
नीतीश कुमार के लालू यादव से खफा होने की चर्चा बीते दिनों भी तब हो रही थी, जब उन्होंने ललन सिंह को हटाकर जेडीयू का अध्यक्ष पद खुद ले लिया था। तब मीडिया में खबरें आई थीं कि ललन सिंह और लालू यादव के बीच करीबी बढ़ रही थी और इसी वजह से नीतीश ने अपने सबसे करीबी ललन सिंह से जेडीयू अध्यक्ष का पद ले लिया। हालांकि, ललन सिंह ने इन खबरों को गलत बताया था और ऐसी खबरें देने वाले मीडिया संस्थानों से नाराजगी भी जताई थी। अब नीतीश कुमार ने जब लालू यादव और कांग्रेस से फिर किनारा कर लिया है, तो ललन सिंह की तरफ से बीते कई दिनों से कुछ भी नहीं कहा गया है।
नीतीश कुमार के फिर बीजेपी के पाले में जाने से विपक्ष के इंडिया गठबंधन को भी तीसरा तगड़ा झटका लगा है। नीतीश ने ही कांग्रेस और राज्यों के गैर कांग्रेस विपक्षी दलों को एकजुट कर इंडिया गठबंधन बनाया था। नीतीश के बारे में ये चर्चा भी हो रही है कि इंडिया गठबंधन में सम्मानजनक पद न मिलने के कारण भी वो नाराज थे। कुल मिलाकर खबरें तमाम सामने आई थीं, लेकिन अब नीतीश कुमार ने बता दिया है कि आखिर विपक्ष और लालू यादव का साथ फिर छोड़ने पर वो मजबूर क्यों हुए।