नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी तो अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के मामले में यूपी की योगी सरकार पर सवाल खड़े कर ही रहे हैं। अब इस मामले में मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद की भी एंट्री हो गई है। जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने अतीक और अशरफ की हत्या को जघन्य करार दिया है और इसे यूपी में कानून और व्यवस्था का ध्वस्त होना बताया है। मौलाना महमूद मदनी ने बयान जारी कर कहा है कि जो भी हुआ, वो देश और मानवता के लिए शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि अगर देश में कानून का राज नहीं है, तो हर तरफ अराजकता का राज होगा और खूनखराबा ही प्रमुख हो जाएगा।
मौलाना मदनी ने कहा कि अगर किसी ने आपराधिक कार्य किया है, तो कोर्ट ही तय कर सकता है कि अपराध किस दर्जे का है और उसकी सजा क्या है। पुलिस या लोगों की ओर से कानून को हाथ में लेना लोकतंत्र का अपमान है। उन्होंने इसे खुद ही आपराधिक कृत्य भी करार दिया है। मौलाना महमूद मदनी ने मांग की है कि अतीक और अशरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए और जो इसमें शामिल हों, उनके खिलाफ केस चलना चाहिए। जमीयत ने पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से हालात को देखते हुए जरूरी कदम उठाने की मांग की है। ताकि लोगों में जो तनाव और दूसरे समुदाय के प्रति दुर्भावना भर गई है, उसे खत्म किया जा सके। बयान के आखिर में मौलाना मदनी ने लोगों से कानून-व्यवस्था बनाए रखने और किसी सूरत में हिंसा न करने की अपील की है।
अतीक अहमद और अशरफ की 3 बदमाशों ने 15 अप्रैल की रात करीब 10.30 बजे हत्या कर दी थी। तीनों बदमाशों अरुण मौर्य, लवलेश तिवारी और सनी सिंह ने इसके बाद सरेंडर कर दिया था। सनी सिंह पर करीब 14 केस हैं। जबकि, अरुण और लवलेश पर भी पहले के कई मुकदमे हैं। तीनों ने कहा है कि वो गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई से प्रभावित थे और उसके वीडियो देखे थे। लॉरेंस की तरह वे भी नामचीन बदमाश बनना चाहते थे।