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Oppose: स्कूलों में सूर्य नमस्कार के खिलाफ AIMPLB, कहा- इस्लाम में सूर्य की पूजा नहीं होती

बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने बयान जारी कर कहा है कि भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। यहां बहुसंख्यकों के रीति-रिवाज और पूजा पद्धति को सभी धर्मों पर थोपा नहीं जा सकता। उन्होंने सभी मुसलमान छात्र और छात्राओं को इस कार्यक्रम से दूर रहने के लिए कहा है।

नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर स्कूलों में सूर्य नमस्कार कराए जाने के केंद्र सरकार के आदेश का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विरोध किया है। बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने बयान जारी कर कहा है कि भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। यहां बहुसंख्यकों के रीति-रिवाज और पूजा पद्धति को सभी धर्मों पर थोपा नहीं जा सकता। उन्होंने सभी मुसलमान छात्र और छात्राओं को इस कार्यक्रम से दूर रहने के लिए कहा है। मौलाना रहमानी ने शिक्षा मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों को इस बारे में भेजे गए निर्देश को संविधान के खिलाफ बताया है। शिक्षा मंत्रालय ने 1 से 7 जनवरी तक स्कूलों में सूर्य नमस्कार कराने का निर्देश दिया था।

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मौलाना ने बयान में कहा है कि संविधान में सभी को अपना धर्म मानने की छूट है। इसलिए किसी भी धर्म की पूजा पद्धति को दूसरे पर थोपा नहीं जा सकता। उन्होंने सूर्य नमस्कार के खिलाफ कहा है कि इस्लाम और अन्य धर्मों में सूर्य को देवता मानकर उसकी पूजा करने की मंजूरी नहीं है। मौलाना रहमानी ने आदेश को वापस लेने की मांग की है और लिखा है कि अगर सरकार वाकई देश से मोहब्बत दिखाना चाहती है, तो उसे समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा है कि अगर सरकार चाहे, तो स्कूलों में देशप्रेम से जुड़े गीत-संगीत का कार्यक्रम कराया जाना चाहिए।

बता दें कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पहले तीन तलाक और एक समान नागरिक संहिता का जमकर विरोध कर चुका है। बोर्ड के एतराज के बाद भी सुप्रीम कोर्ट के कहने पर सरकार ने तीन तलाक का बिल पास कराया और तमाम लोगों पर अब ऐसे मामलों में केस दर्ज हो रहे हैं। साथ ही एक समान नागरिक संहिता भी बीजेपी के एजेंडा में है। ऐसे में देखना ये बाकी है कि मोदी सरकार इस बारे में कब तक कोई बिल लाती है। बोर्ड ने सीएए कानून का भी विरोध किया था, लेकिन सरकार ने इसे भी लागू करवा लिया। अब सूर्य नमस्कार के बारे में बोर्ड के विरोध पर सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार है।