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Maharashtra: कार्यकर्ताओं के हंगामे और पार्टी की नामंजूरी के बीच अजित पवार का अपना राग, चाचा शरद पवार के इस्तीफे को बताया सही

Maharashtra: महाविकास अघाड़ी को लेकर चलने की बात कर रहे शरद पवार के इस्तीफे की घोषणा से महाराष्ट्र में एकदम सियासी शून्य की स्थिति पैदा हो गई थी। उनके इस्तीफे के ऐलान के बाद लोगों के मन में ये सवाल थे कि पवार की गद्दी को अब कौन संभालेगा। सुप्रिया सुले और अजित पवार का नाम इसमें प्रमुखता से लिया जा रहा था। लेकिन उनके फैसले को लेकर जब शुक्रवार को पार्टी की बैठक हुई तो इस बात पर आम सहमति बनी कि शरद पवार को अभी अध्यक्ष पद पर बने रहना चाहिए। इसलिए तमाम वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में उनके इस्तीफे को नामंजूर कर दिया गया।

मुंबई। NCP चीफ शरद पवार के इस्तीफे के बाद महाराष्ट्र में खूब सियासी गर्मी रही। लेकिन शुक्रवार को मीटिंग में NCP अध्यक्ष शरद पवार के पद से इस्तीफे की डिमांड को ख़ारिज कर दिया गया। 15 सदस्यीय इस बैठक में उनके इस्तीफे को नामंजूर करते ही दफ्तर के बाहर खड़े हजारों कार्यकर्ताओं में ख़ुशी की लहर दौड़ गई, लेकिन इससे अजित पवार शायद खुश नजर नहीं आ रहे हैं। इसी के चलते शरद के भतीजे और पार्टी के प्रमुख नेता अजित पवार ने उनके इस्तीफे के फैसले को एक बार फिर सही ठहराया है। वहीं पार्टी के फैसले से पहले ही शरद पवार ने कहा था कि मीटिंग में जो भी फैसला होगा वो उसे जरूर मानेंगे।

महाविकास अघाड़ी को लेकर चलने की बात कर रहे शरद पवार के इस्तीफे की घोषणा से महाराष्ट्र में एकदम सियासी शून्य की स्थिति पैदा हो गई थी। उनके इस्तीफे के ऐलान के बाद लोगों के मन में ये सवाल थे कि पवार की गद्दी को अब कौन संभालेगा। सुप्रिया सुले और अजित पवार का नाम इसमें प्रमुखता से लिया जा रहा था। लेकिन उनके फैसले को लेकर जब शुक्रवार को पार्टी की बैठक हुई तो इस बात पर आम सहमति बनी कि शरद पवार को अभी अध्यक्ष पद पर बने रहना चाहिए। इसलिए तमाम वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में उनके इस्तीफे को नामंजूर कर दिया गया।

बेशक अजित पवार नहीं चाहते कि शरद पवार अपने इस्तीफे का फैसला वापस लें, लेकिन पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं ने पार्टी दफ्तर के बाहर उनके इस फैसले पर जमकर हंगामा और नारेबाजी की, तो ये संदेश साफ़ था कि लोग अभी भी शरद पवार को पार्टी के अध्यक्ष के रूप में देखना चाहते हैं। महाराष्ट्र में क्या सियासी खेल चल रहा है ये समझना काफी मुश्किल है क्योंकि खुद शरद पवार एक वरिष्ठ नेता हैं और देश की सियासत में अपनी राजनैतिक समझदारी को लेकर वो विख्यात हैं। ऐसे में उनका हर फैसला चौंकाने के साथ ही संदेश देने वाला भी होता है।