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CAA Implemented: सीएए के पक्ष में आया ये मुस्लिम संगठन, जानिए क्या केरल और बंगाल की सरकारें इसे लागू होने से रोक सकेंगी?

CAA Implemented: केंद्र ने करीब 5 साल बाद आखिरकार सीएए को लागू कर दिया। सीएए यानी संशोधित नागरिकता कानून। इस कानून के तहत 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आने वाले हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय को नागरिकता मिल सकेगी।

बरेली/गुवाहाटी। केंद्र सरकार ने करीब 5 साल बाद आखिरकार सीएए को लागू कर दिया। सीएए यानी संशोधित नागरिकता कानून। इस कानून के तहत 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आने वाले हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता मिल सकेगी। सीएए कानून जब साल 2019 में पास हुआ था, तो इसका कई जगह विरोध हुआ था। दिल्ली में तो हिंसा तक हुई थी। विरोधियों ने ये कहा था कि धर्म के आधार पर भेदभाव किया जा रहा है। ऐसी अफवाह भी फैली कि इससे भारत में रहने वाले मुस्लिमों की नागरिकता भी छिन जाएगी। जबकि, ये पूरी तरह गलत है। सीएए को नागरिकता देने के लिए लाया गया है, न कि किसी की नागरिकता छीनने के लिए। अब अखिल भारतीय मुस्लिम जमात ने भी सीएए लाए जाने का स्वागत करते हुए मुस्लिमों में फैलाए गए अफवाह को गलत बताया है।

वहीं, सीएए के खिलाफ अब भी आवाज उठ रही है। असम के कांग्रेस विधायक अब्दुर रशीद मंडल ने कहा कि इसका सभी विपक्षी दलों ने विरोध किया है। मंडल के मुताबिक केंद्र सरकार धर्म आधारित नागरिकता दे रही है। जो भारतीय संविधान के पूरी तरह खिलाफ है। सुनिए कांग्रेस विधायक अब्दुर रशीद मंडल ने और क्या कहा।

इससे पहले पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और केरल के सीएम पिनरई विजयन ने कहा था कि वे अपने राज्यों में सीएए लागू नहीं होने देंगे। केरल की वाममोर्चा सरकार ने तो विधानसभा में बाकायदा सीएए के खिलाफ प्रस्ताव भी पास कराया था। तो क्या ये दोनों राज्य सीएए लागू नहीं होने दे सकते? इस सवाल का जवाब ये है कि बंगाल या केरल सरकार के पास अधिकार ही नहीं है कि वो सीएए को लागू होने से रोक सकें। नागरिकता देने का अधिकार केंद्र सरकार के पास ही होता है और राज्यों का इससे कोई लेना-देना नहीं होता। ऐसे में ममता और विजयन सरकारों के पास सीएए को रोकने का कोई रास्ता नहीं है।