HC On Dowry Act: दहेज उत्पीड़न मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- दो महीने तक नहीं हो गिरफ्तारी

HC On Dowry Act: इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने मुकेश बंसल की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि लिव इन रिलेशनशिप हमारी सामाजिक सांस्कृतिक मान्यताओं और परंपरागत विवाह की जगह लेती जा रही है। आज की जमीनी हकीकत यही है जिसे हमें स्वीकार करना पड़ेगा।

Avatar Written by: June 15, 2022 11:09 am

नई दिल्ली। दहेज उत्पीड़न की धारा 498 ए कानून के दुरुपयोग को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि आईपीसी की धारा 498 ए के तहत दर्ज किए गए मामलों में दो महीने तक कोई भी गिरफ्तारी नहीं की जाए। दो महीने में परिवार कल्याण समिति मामले की जांच करें और अपनी रिपोर्ट दे। इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने ये आदेश जारी किया है।

कूलिंग पीरियड के दौरान पारिवारिक विवाद को सुलझाने का किया जाए प्रयास

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद दो महीने तक पुलिस कोई भी उत्पीड़नात्मक कार्रवाई न करे। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में ये भी किया कि दो महीने के इस कूलिंग पीरियड के दौरान पारिवारिक विवाद को आपसी सलाह से सुलझाने का भी प्रयास किया जाए। 498 ए के तहत मुकदमा दर्ज होते ही मामले को तुरंत परिवार कल्याण समिति के पास भेजा जाए। समिति पूरे मामले की जांच कर एक विस्तृत रिपोर्ट बनाए और उसकी कॉपी पुलिस एवं मजिस्ट्रेट को सौंपे। हाईकोर्ट ने समिति को राहत देते हुए कहा कि मुक़दमे के दौरान समिति के किसी भी सदस्य को गवाह के तौर पर पेश होने के लिए नहीं बुलाया जाएगा।

लिव इन रिलेशनशिप को मिल रहा बढ़ावा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आगे अपने आदेश में कहा है कि दहेज उत्पीड़न की धारा 498 ए का गलत उपयोग वैवाहिक संस्था को प्रभावित कर रहा है और लिव इन रिलेशनशिप परंपरागत विवाह की जगह लेती जा रही है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने मुकेश बंसल की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि लिव इन रिलेशनशिप हमारी सामाजिक सांस्कृतिक मान्यताओं और परंपरागत विवाह की जगह लेती जा रही है। आज की जमीनी हकीकत यही है जिसे हमें स्वीकार करना पड़ेगा। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए आगे कहा कि शादी के बिना एक साथ रहना और आपसी सहमती से यौन संबंध बनाए रखना, आज के जोड़े ऐसा अपनी वैधानिक जिम्मेदारियों से बचने के लिए करते हैं।

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