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Delhi Ordinance Bill: अमित शाह ने राज्यसभा में पेश किया दिल्ली लोक सेवा बिल, तो तिलमिलाई कांग्रेस

Delhi Ordinance Bill: इस बिल पर बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि, ‘जिस पार्टी ने गुजरात में इनका वोट हाफ कर दिया। पंजाब में साफ कर दिया और दिल्ली में हाफ कर दिया। उस पार्टी को समर्थन देने के लिए कांग्रेस खड़ी हो गई है। सुधांशु ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 105 पन्नों के फैसले में दिल्ली को लेकर कानून बनाने के खिलाफ कोई बात नहीं लिखी गई है।

नई दिल्ली। लोकसभा से पारित होने के बाद आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में दिल्ली लोक सेवा बिल पेश किया। बीते गुरुवार को इसे लोकसभा से पारित किया गया था। हालांकि, विपक्ष ने इस बिल का विरोध किया था, लेकिन उसका कुछ खास असर बिल पर नहीं पड़ा। उधर बिल पेश करने के बाद विरोध में आप के इकलौते सांसद सुशील कुमार रिंकू को पूरे मानसून सत्र से निलंबित कर दिया गया था। वहीं, अब राज्यसभा में अमित शाह ने इस बिल को पेश किया है। जिस पर 6 घंटे तक चर्चा होगी। कांग्रेस ने केंद्र के बिल को असंवैधानिक बताया है। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने बिल को लेकर कहा कि बीजेपी का दृष्टिकोण किसी भी तरह से दिल्ली की प्रशासनिक व्यवस्था को नियंत्रण में रखना है। यह बिल पूरी तरह से असंवैधानिक है। यह मौलिक रूप से अलोकतांत्रिक है। यह दिल्ली की जनता की आकांक्षाओं पर प्रत्यक्ष तरीके से हमला है, जिसकी भत्सर्ना की जानी चाहिए। यह बिल संघवाद के सिद्धांतों के खिलाफ है।

वहीं, इस बिल पर बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि, ‘जिस पार्टी ने गुजरात में इनका वोट हाफ कर दिया। पंजाब में साफ कर दिया और दिल्ली में हाफ कर दिया। उस पार्टी को समर्थन देने के लिए कांग्रेस खड़ी हो गई है। सुधांशु ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 105 पन्नों के फैसले में दिल्ली को लेकर कानून बनाने के खिलाफ कोई बात नहीं लिखी गई है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पैराग्राफ 86, 95 और 164 एफ में साफ कहा गया है कि दिल्ली के लिए कानून बनाने का पूरा अधिकार केंद्र सरकार के पास है। आइए, अब आगे आपको इस पूरे विवाद की मूल वजह के बारे में विस्तार से बताते हैं।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को दिल्ली का असली बॉस बताया था। इसके अलावा कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि अधिकारियों के पोस्टिंग और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार के पास है। बता दें कि कोर्ट के इस फैसले को केजरीवाल सरकार ने अपने लिए जीत के रूप में रेखांकित किया था, लेकिन फैसले के हफ्तेभर बाद ही केंद्र सरकार दिल्ली सरकार की शक्तियों को कम करने के बाबत अध्यादेश लेकर आई, जिसका नाम है ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023’। अब केजरीवाल सरकार इस बिल को कानून का रूप धारण करने से रोक रही है। इस संदर्भ में बीते दिनों सीएम केजरीवाल ने कई विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर समर्थन की मांग की थी, लेकिन पटना में आयोजित हुई विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस ने आप को समर्थन देने से गुरेज किया था।