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Politics : राहुल गांधी के अलावा इन बड़े नेताओं पर भी गिर चुकी है जनप्रतिनिधि कानून की गाज, चली गई थी सदस्यता

Politics : राहुल गांधी कोई पहले नेता नहीं है जिनकी लोकसभा की सदस्यता रद्द की गई है बल्कि इससे पहले भी कई बड़े नेताओं की जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत सदस्यता रद्द हुई हैं। इस आर्टिकल में हम आपको उन्हीं बड़े नेताओं के नाम बताने वाले हैं जिन की सदस्यता किसी न किसी कारण से रद्द हुई है। 

नई दिल्ली। पूर्व में पीएम मोदी के सरनेम पर की गई एक अशोभनीय टिप्पणी को लेकर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सूरत कोर्ट के एक आदेश के बाद मुश्किलों में घिर गए हैं। इस मामले में कोर्ट ने उन्हें 2 साल की सजा सुनाई। हालांकि, उन्हें हाथ के हाथ जमानत भी मिल गई। लेकिन इस बीच बड़ी खबर निकल कर यह सामने आ रही है कि राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता भी रद्द कर दी गई है। लेकिन राहुल गांधी कोई पहले नेता नहीं है जिनकी लोकसभा की सदस्यता रद्द की गई है बल्कि इससे पहले भी कई बड़े नेताओं की जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत सदस्यता रद्द हुई हैं। इस आर्टिकल में हम आपको उन्हीं बड़े नेताओं के नाम बताने वाले हैं जिन की सदस्यता किसी न किसी कारण से रद्द हुई है।

इससे पहले किसने गंवाई सदस्यता..

आजम खान- उत्तर प्रदेश की सियासत बड़ा नाम और रामपुर से संबंध रखने वाले समाजवादी पार्टी के नेता और विधायक आजम खान सदस्यता खो चुके हैं। आजम पर पीएम मोदी पर अभद्र टिप्पणी करने का आरोप था। इस मामले में उन्हें तीन साल की सजा हुई थी।

अब्दुल्ला आजम- जिस तरह से आजम खान विवादों में रहे हैं उसी तरह उनके बेटे अब्दुल्ला आजम भी सदस्यता गवां चुके हैं। एक विशेष अदालत अब्दुल्ला को दो साल की सजा दी थी।

ममता देवी- आपको बता दें कि झारखंड की सियासत का बड़ा नाम रामगढ़ सीट से विधायक ममता देवी को अयोग्य करार किये जाने से सीट खाली हो गई थी। ममता को अदालत से 5 साल की सजा हुई थी।

लालू यादव- आपको बता दें कि इससे पहले जनप्रतिनिधि कानून के तहत राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया और बिहार के मुख्यमंत्री रहे लालू यादव सितंबर, जब 2013 में चारा घोटाले के दोषी पाए गए थे तब उनकी सांसदी चली गई थी, जिसके बाद चुनाव लड़ने पर बैन लगा दिया गया था। इसके बाद लालू प्रसाद यादव ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार की सत्ता सौंप दी थी।

जे जयललिता-  तमिलनाडु की सियासत में जिनको भगवान की तरह पूजा जाता जाता था। उन जयललिता की भी जनप्रतिनिधि कानून के तहत सदस्यता चली गई थी। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री और ऑल इंडिया अन्ना द्रमुक मुनेत्र कड़गम की मुखिया रहीं जे जयललिता को सितंबर 2014 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी पाया गया था। 10 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगी थी, जिसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से हाथ धोना पड़ गया था।

कमल किशोर भगत- झारखंड की राजनीति में एक बड़ा सौदा रखने वाले आजसू विधायक कमल किशोर भगत को दोषी करार दिए जाने के बाद अपनी कर्सी गंवानी पड़ी थी। कमल किशोर भगत तो जून 2015 में हत्या के दोषी पाए गए थे, जिसके बाद उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी।

रशीद मसूद काजी – कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रशीद मसूद जब संसद में राज्यसभा के सदस्य थे उस समय हुए दोषी पाए गए थे, जिसके बाद उन्हें राज्यसभा सदस्यता चली गई थी। रशीद मसूद उत्तर प्रदेश से कांग्रेस के राज्यसभा के सांसद थे। 2013 में एमबीबीएस सीट घोटाले में दोषी पाए गए थे। चार साल की सजा हुई और सांसदी से हाथ धोना पड़ा था।

 क्या कहता है जनप्रतिनिधि कानून?

जनप्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक, जब राजनेता को किसी मामले में दोषी करार दे दिया जाता है, तो उसके आगामी 6 वर्षों तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। जिसके बाद उसकी संसद सदस्यता भी रद्द कर दी जाती है। कुछ ऐसा ही राहुल गांधी के साथ भी हुआ है। बहरहाल, अब ऐसे में देखना होगा कि आगामी दिनों में राहुल गांधी क्या कुछ कदम उठाते हैं। ध्यान रहे कि उक्त कानून के मुताबिक, जब किसी राजनेता को किसी मामले में दो साल या उससे अधिक सजा सुनाई जाती है, तो उसकी संसद सदस्यता रद्द कर दी जाती है।