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Wrestlers Protest: महिला पहलवानों की गुहार, कोई तो सुन लो हमारी पुकार

Wrestlers Protest: बृजभूषण शरण सिंह ने मीडिया से बातचीत के दौरान अब यह पहलवानों की नहीं रही। अब यह राजनीतिक लड़ाई हो चुकी है। जिसमें कई दल के नेता हिस्सा ले रहे हैं। हालांकि, मुझे इसके लक्षण पहले दिन से देखने को मिल रहे थे, लेकिन तब मैंने इस बारे में कुछ भी नहीं देखा था। अब ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या अब यह लड़ाई पहलवानों के हाथ से निकल चुकी है।

नई दिल्ली। कभी रिंग में विरोधियों के चारों खाने चित करने वाले पहलवान आज इंसाफ की गुहार लगा रहे हैं…कभी रिंग में अपने दांव से प्रतिद्वंदियों के छक्के छुड़ाने वाले पहलवान आज लाचार, बेबस और असहाय नजर आ रहे हैं। कभी अपने दमखम से अपने विरोधियों की हवा टाइट कर देने वाले आज इंसाफ की गुहार लगा रहे हैं। कभी रिंग के मैदान में जिन आंखों में रौद्र नजर आता था। आज उन्हीं आंखों में लाचारी नजर आ रही है। जिन आंखों में जीत की ललक नजर आती थी। आज उन्हीं आंखों में पराजय की अक्श नजर आ रही…!

उम्मीद है, आप समझ गए होंगे कि हम किसकी बात करे हैं। दरअसल, हम उन महिला पहलवानों की बात कर रहे हैं, जो जंतर-मंतर पर भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख की गिरफ्तारी की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। अब आपके जेहन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर भारतीय कुश्ती महासंघ का प्रमुख कौन है, तो आपको बता दें कि भारतीय कुश्ती महासंघ का प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह है, जो बीजेपी का सांसद भी है। अब सवाल यह है कि आखिर महिला पहलवान बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग क्यों कर रहे हैं?

दरअसल, महिला पहलवानों ने कुलभूषण पर यौन शोषण का आरोप लगाया है, जिस पर अभी बवाल मचा हुआ है। कुलभूषण अपने ऊपर लगे इन आरोपों को सिरे से खारिज कर रहे हैं। उन्होंने तो बीते दिनों यह भी कह दिया था कि अगर उनके ऊपर लगे आरोपों में बिल्कुल भी सच्चाई पाई गई, तो वो आत्महत्या कर लेंगे। वहीं, बाद में यह लड़ाई उत्तर प्रदेश बनाम हरियाणा में तब्दील हो गई, जहां हरियाणा के कुछ पहलवान धरनारत महिला पहलवानों के समर्थन में आ गए, तो वहीं उत्तर प्रदेश के कुछ पहलवान बृजभूशण शरण सिंह के समर्थन में आ गए। वहीं, महिला पहलवानों ने बृजभूषण पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसे लेकर शुरू हुआ यह विवाद अब कितना लंबा जाएगा, कह पाना मुश्किल है। आइए, अब जानते हैं कि महिला पहलवानों की क्या मांग है।

महिला पहलवानों की पहली मांग यह है कि बृजभूषण अपने पद से इस्तीफा दे। अभी वह भारतीय कुश्ती संघ का प्रमुख है और दूसरा उसे गिरफ्तार किया जाए। वहीं खुद के इस्तीफा देने के संदर्भ में बृजभूषण पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि जब तक वो खुद की बेगुनाही साबित नहीं कर देते हैं, तब तक वो अपने पद पर बन रहेंगे। वहीं, अगर उसकी गिरफ्तारी की बात करें, तो इस दिशा में पहलवानों को पहली सफलता तो मिल ही चुकी है और दूसरी मिलना बाकी है। दरअसल, पिछले काफी दिनों से धरनारत महिला पहलवान बृजभूषण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहे थे, लेकिन पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर रही थी। बीते दिनों इस संदर्भ में दिल्ली महिला आयोग की अध्य़क्ष स्वाति मालीवाल ने दिल्ली पुलिस को नोटिस भी जारी किया था। इसके बाद पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया। तब तक जाकर दिल्ली पुलिस पर दबाव बना तो बृजभूषण के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। उधर, महिला पहलवानों का कहना है कि उसके खिलाफ पहले ही कई प्राथमिकी दर्ज है, ऐसे में जब तक उसकी गिरफ्तारी नहीं हो जाती है, तब तक उनका व विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। अब ऐसे में देखना होगा कि आगामी दिनों में बृजभूषण के खिलाफ क्या कुछ कार्रवाई की जाती है? क्या उसे सलाखों के पीछे भेजा जाएगा? यह देखने वाली बात होगी।

brij bhushan sharan singh

वहीं, यह पूरा मामला अब राजनीतिक रूप भी धारण कर रहा है। वो भी ऐसी स्थिति में जब विभिन्न राज्यों में आगामी दिनों में चुनाव होने हैं। जहां अगले वर्ष लोकसभा का चुनाव है, तो वहीं उससे पहले कई राज्यों में भी चुनाव है, तो ऐसे में लाजिमी है कि पूरे मामले को लेकर राजनीतिक चश्मे से देखा जाए, वैसे भी बृजभूषण सिंह भारतीय कुश्ती संघ के प्रमुख के साथ-साथ बीजेपी का सांसद भी है। वहीं, बीते शनिवार को सीएम केजरीवाल महिला पहलवानों के बीच पहुंचे। जहां उन्होंने खुलकर महिला पहलवानों का खुलकर समर्थन किया और केंद्र की मोदी सरकार पर भी जमकर हमला बोला। वहीं, प्रियंका गांधी वाड्रा भी पहलवानों के बीच तो वहीं आज उनके पति रॉबट वाड्रा भी धरनारत पहलवानों के बीच पहंचे। जहां उन्होंने पहलवानों के पक्ष में आवाज उठाई। उधर, जेडीयू नेता केसी त्यागी भी महिला पहलवानों के बीच पहुंचे।

उधर, बृजभूषण शरण सिंह ने मीडिया से बातचीत के दौरान स्पष्ट कर दिया है कि अब यह पहलवानों की लड़ाई नहीं रही। अब यह राजनीतिक लड़ाई हो चुकी है। जिसमें कई दल के नेता हिस्सा ले रहे हैं। हालांकि, मुझे इसके लक्षण पहले दिन से ही देखने को मिल रहे थे, लेकिन तब मैंने कुछ कहा नहीं था। अब ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या अब यह लड़ाई पहलवानों के हाथ से निकल चुकी है। क्या अब यह राजनीतिक लड़ाई में तब्दील हो चुकी है, जिसका फायदा उठाने की जगत में कई नेता लग चुके हैं।

 

ध्यान रहे कि जनवरी माह में जब पहलवान जंतर मंतर पर पहुंचे थे, तो उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि इस धरने में हम किसी भी नेता को शामिल नहीं होंने देंगे। इतना ही नहीं, सीपीएमआई नेता विरंदा करात जब पहलवानों के बीच पहुंची थी, तो उन्हें पहलवानों ने उल्टे पांव लौटा दिया था, लेकिन अब पहलवानों ने सभी राजनीतिक दलों को खुलतौर पर आमंत्रित किया है, जिसे लेकर मुख्तलिफ सवाल उठाए जा रहे हैं। उधर, कुछ लोग अब इस बहाने प्रधानमंत्री मोदी पर भी निशाना साध रहे हैं।  कह रहे हैं कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा लगाने वाले प्रधानमंत्री भला अभी तक देश का नाम रौशन करने वाली बेटियों से क्यों नहीं मिल रहे हैं। भारतीय राजनीति इस बात का गवाह रहा है कि इससे पहले भी हुए कई आंदोवन राजनीति का रूप अख्तियार कर चुके हैं। वहीं, महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए आरोप यकीनन गंभीर है। इसकी जांच की जानी चाहिए और आरोपित व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। बहरहाल, अब यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।