newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

छत्तीसगढ़ रिवेन्यू सेक्रेटरी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट, दैनिक भास्कर ग्रुप पर भी ‘फर्जीवाड़े’ के आरोप, जमीन हड़पने का है मामला

जब कोई भी वनवासी किसी दूसरे वनवासी की जमीन खरीदता है, तो वो किसी से भी आदेश लेने के लिए बाध्य नहीं रहता है, लेकिन अगर कोई बाहर का व्यक्ति वनवासियों की जमीन खरीदता है, तो उसे सर्वप्रथम जिलाधिकारी से निर्देश लेना होता है, मगर दैनिक भास्कर पर आरोप है कि उसने किसी भी इजाजत लेना जरूरी नहीं समझा, बल्कि भास्कर ने अपने किसी एजेंट के जरिए जमीन खरीदने की कवायद शुरू की।

नई दिल्ली। अपने आपको जम्हूरियत का अदना-सा चौकीदार और सरकार की मार से खुद को बदहाल बताने वाला हिंदी का अखबार दैनिक भास्कर ग्रुप का खौफनाक चेहरा बेनकाब हो गया है। जी हां….बिल्कुल…सही पढ़ा आपने…खौफनाक चेहरा…यही सोच रहे हैं ना आप कि आखिर उक्त अखबार के संदर्भ में ऐसी भयानक शब्दाबली गढ़ी गई? आखिर ऐसा कौन-सा गुनाह कर दिया कि लोकतंत्र के इस प्रहरी ने। तो चलिए अब आपको ज्यादा ना उलझाने हुए सीधा पूरे माजरे से रूबरू कराते हैं।

जानिए पूरा माजरा…!

तो माजरा यह है कि अपने आपको जम्हूरियत का संरक्षक बताने वाले दैनिक भास्कर ग्रुप द्वारा संचालित कंपनी ‘डीबी पावर लिमिटेड’ पर धोखाधड़ी का
आरोप लगा है। वो भी उसके साथ जिसके पक्ष में हमेशा अखबार अपने स्वर को मुखर करने का दावा करता आया है। बता दें कि दैनिक भास्कर ग्रुप द्वारा संचालित कंपनी डीबी पावर लिमिटेड पर आरोप है कि उसने वनवासियों की जमीन से धोखाधड़ी की है। ग्रुप पर आरोप है कि पावर प्लांट स्थापित करने के नाम पर उसने धोखाधड़ी से वनवासियों की जमीन खरीदी है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को भी शिकायत मिली है। दरअसल, दैनिक भास्कर ग्रुप अखबार निकालने के इतर अतरिक्त धनार्जन करने हेतु कई अन्यत्र व्यापारों में लिप्त है। इसी कड़ी में दैनिक भास्कर ग्रुप की एक और कंपनी है ‘डी.बी.पावर लिमिटेड’। भास्कर पर आरोप है कि अपनी कंपनी का प्लांट लगाने के लिए उसने धोखे से वनवासियों की जमीन खरीदी। कंपनी की योजना थी कि वह छत्तीसगढ़ के जांजागीर-चांपा में अपना प्लांट लगाने हेतु कंपनी ने वनवासियों की जमीन धोखे से खरीदी थी। धोखे से इसलिए क्योंकि वनवासियों की जमीन खरीदने के लिए निर्धारित नियमों का पालन करने के लिए कोई भी संस्था अथवा व्यक्ति बाध्य रहती है, लेकिन भास्कर पर आरोप है कि उसने इन बाध्यताओं को नजरअंदाज करते हुए नियमों की अवहेलना करते हुए सस्ते दामों पर जमीन खरीदी है।

नियमों के मुताबिक, जब कोई भी वनवासी किसी दूसरे वनवासी की जमीन खरीदता है, तो वो किसी से भी आदेश लेने के लिए बाध्य नहीं रहता है, लेकिन अगर कोई बाहर का व्यक्ति वनवासियों की जमीन खरीदता है, तो उसे सर्वप्रथम जिलाधिकारी से निर्देश लेना होता है, मगर कंपनी पर आरोप है कि उसने किसी से भी इजाजत लेना जरूरी नहीं समझा, बल्कि अपने किसी एजेंट के जरिए जमीन खरीदने की कवायद शुरू की। जिसके उपरांत दैनिक भास्कर ग्रुप के एजेंट के तौर पर काम कर रहे व्यक्ति ने वनवासियों से जमीन खरीदी और बाद में वह जमीन ‘डी.बी.पावर लिमिटेड’ को बेच दी। इस बीच इसमें से काफी जमीन को पहले ‘छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन’ ने अधिग्रहित किया और फिर ‘डी.बी.पावर लिमिटेड’ को दे दिया। यानी पहले भास्कर के एक स्थानीय एजेंट ने यहां गांववालों से सस्ते में जमीन खरीदी और ‘डी.बी.पावर लिमिटेड’ को वही जमीन फिर से बेच दी गई। प्लांट के लिए और ज्यादा जमीन की जरूरत थी तो ‘छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन’ के माध्यम से भी यहां जमीन का अधिग्रहण कर उसे ‘डी.बी.पावर लिमिटेड’ को बेचा गया। अब इस पूरे खेल में कौन—कौन शामिल है यह जांच का विषय है।

Dainik Bhaskar is most widely circulated newspaper group in country | देश में सबसे ज्यादा प्रसारित होने वाला अखबार समूह, 54.32 लाख प्रतियों के साथ नंबर 1 - Dainik Bhaskar

उधर, जैसे ही यह मामला अनुसूचित जनजाति आयोग के संज्ञान में आया तो सर्वप्रथम छत्तीगढ़ के राजस्व सचिव और छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन’ के एमडी को नोटिस जारी किया गया, लेकिन वहां से कोई भी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई। इसके अलावा जांजागीर— चांपा जिले के जिलाधिकारी और एसपी को भी आयोग की तरफ से नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया था। वहां से भी संतोषजनक जवाब नहीं आया। वहीं, अब अनुसूचित जनजाति के लोगों की जमीन धोखाधड़ी से हड़पने के आरोप में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने अब छत्तीसगढ़ के डिपार्टमेंट ऑफ रिवेन्यू सेक्रेटरी नीलम नामदेव इक्का (Neelam Namdev Ekka) के खिलाफ गिरफ्तारी का आदेश दिया है। आयोग ने छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा को वारंट भेजकर रिवेन्यू सेक्रेटरी को गिरफ्तार कर आयोग के सामने पेश करने को कहा है।

बता दें कि इससे पहले भी उन्हें समन जारी किया गया था, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए थे। इससे पूर्व आयोग ने 11 मार्च को ‘डीबी पावर लिमिटेड’ द्वारा वनवासियों की जमीन धोखाधड़ी से खरीदे जाने के मामले में छत्तीसगढ़ स्टेट डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन के एमडी और रिवेन्यू सेक्रेटरी छत्तीसगढ़ को समन जारी कर आयोग के सामने 24 मार्च को प्रस्तुत होने के लिए कहा था। हालांकि, समन मिलने के उपरांत छत्तीसगढ़ स्टेट डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन के एमडी अरुण प्रसाद ने आयोग के समक्ष अपनी सफाई पेश की थी, लेकिन रिवेन्यू सेक्रेटरी नीलम नामदेव इक्का आयोग के सामने प्रस्तुत नहीं हुए थे। वहीं, आदेश की अवहेलना किए जाने पर अब उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वांरट जारी किया गया है। इसके साथ ही रिवेन्यू सेक्रेटरी की अगंभीरता को देखते हुए आयोग ने पुलिस महानिदेश से उक्त मामले को संज्ञान में लेकर उचित कार्रवाई कर आगामी 1 अप्रैल तक कार्रवाई रिपोर्ट सबमिट करने को कहा है।